Shilpa Shirodkar: बॉलीवुड में हर अभिनेता का सफर आसान नहीं होता, और शिल्पा शिरोडकर की शुरुआती यात्रा भी चुनौतियों से भरी थी. जूम को दिए एक साक्षात्कार में ‘किशन कन्हैया’ और ‘हम’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर इस अभिनेत्री ने खुलासा किया कि उनके पहले दो प्रोजेक्ट रद्द होने के बाद उन्हें ‘पनौती’ जैसे कटु शब्दों का सामना करना पड़ा.
सपनों की शुरुआत का टूटना
शिल्पा ने 1986 में सावन कुमार टाक की फिल्म ‘सौतन की बेटी’ से डेब्यू करने की योजना बनाई थी. उन्होंने बताया, “9 अगस्त को फिल्मalaya स्टूडियो में मेरा महूरत हुआ. यह मेरे लिए सबसे बड़ा लॉन्च था. मैं टाइटल रोल निभाने वाली थी, लेकिन दो साल बाद भी फिल्म शुरू नहीं हुई. सावन जी ने कहा, ‘मैं यह फिल्म नहीं बना रहा, अगर बाहर से कुछ मिले तो ले लो.’” इस असफलता ने उनके करियर की शुरुआत को झटका दिया.
एक और मौका छिना
इसके बाद, उनकी मां ने फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष से संपर्क किया, जिन्होंने बोनी कपूर और सुरिंदर कपूर से बात की. बोनी के पिता ने शिल्पा को पसंद किया और संजय कपूर के साथ फिल्म ‘जंगल’ में कास्ट करने का वादा किया. लेकिन बाद में उन्होंने ‘प्रेम’ बनाने का फैसला किया, जिसमें शिल्पा को जगह नहीं मिली. इस तरह एक और बड़ा अवसर उनके हाथ से निकल गया.
‘पनौती’ का तमगा और संघर्ष
शिल्पा ने बताया कि इंडस्ट्री में उनके नाम के पीछे गॉसिप शुरू हो गई. एक शुभचिंतक ने मिथुन चक्रवर्ती से मदद मांगी, जिन्होंने कहा, “इस लड़की की दो फिल्में रद्द हो चुकी हैं, लोग इसे पनौती कह रहे हैं.” लेकिन शिल्पा ने कहा, “पारिवारिक समर्थन ने मुझे इन बातों से उबरने में मदद की.”
आखिरकार, 1989 में रामेश सिप्पी की ‘भ्रष्टाचार’ से उन्होंने मिथुन और रेखा के साथ डेब्यू किया, जिसमें उनकी नेत्रहीन किरदार को सराहना मिली. इसके बाद ‘किशन कन्हैया’, ‘त्रिनेत्र’, ‘हम’, ‘खुदा गवाह’ और ‘मृत्युदंड’ जैसी फिल्मों ने उन्हें पहचान दिलाई.