Al Sharif: इजारयल और हमास के बीच अब भी जारी है. अल जजीरा के अनुसार, रविवार को पूर्वी गाजा शहर में अल-शिफा अस्पताल के बाहर पत्रकारों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे एक तंबू पर हुए इज़राइली हवाई हमले में मारे गए. इसमें अल जजीरा के पांच पत्रकारों और उनके एक सहायक सहित 28 वर्षीय अनस अल शरीफ़ भी शामिल थे.
इज़राइली सेना ने खुफिया जानकारी और ज़ब्त किए गए दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया कि अल शरीफ़ हमास सेल का एक नेता था जो 'इज़राइली नागरिकों और सैनिकों पर रॉकेट हमले करने के लिए ज़िम्मेदार था'.
अल जजीरा ने कहा कि अनस अल शरीफ़ गाजा में बचे हुए उन आखिरी लोगों में से थे जो दुनिया को यहां की सच्चाई के बारे में बताते थे. अल शरीफ़ के 5 लाख से ज़्यादा फ़ॉलोअर्स वाले एक्स अकाउंट से पता चला कि वह अपनी मौत से कुछ मिनट पहले गाजा शहर में भीषण बमबारी के बारे में अपडेट पोस्ट कर रहे थे. अल जजीरा ने इज़राइल के आरोपों को निराधार बताते हुए इस हमले को 'गाजा पर कब्ज़े से पहले आवाज़ों को दबाने की एक हताश कोशिश' बताया. पत्रकारों की सुरक्षा समिति (सीपीजे) ने कहा कि इज़राइल में विश्वसनीय सबूत पेश किए बिना पत्रकारों को आतंकवादी करार देने का एक 'ढर्रा' रहा है.
संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत इरीन खान ने पहले चेतावनी दी थी कि अल शरीफ की रिपोर्टिंग के कारण उनकी जान को खतरा है. सीपीजे की मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका की निदेशक सारा कुदाह ने कहा कि विश्वसनीय सबूत पेश किए बिना पत्रकारों को आतंकवादी करार देने का इज़राइल का तरीका उसकी मंशा और प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति सम्मान पर गंभीर सवाल खड़े करता है. अल शरीफ ने अपनी मृत्यु की स्थिति में पोस्ट करने के लिए एक सोशल मीडिया संदेश छोड़ा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने बिना किसी तोड़-मरोड़ या गलत बयानी के, सच को ज्यों का त्यों बताने में कभी संकोच नहीं किया. हमास द्वारा संचालित गाजा मीडिया कार्यालय के अनुसार, 7 अक्टूबर, 2023 को युद्ध शुरू होने के बाद से 237 पत्रकार मारे जा चुके हैं. सीपीजे का अनुमान है कि मृतकों की संख्या कम से कम 186 है. हमास ने कहा कि पत्रकारों की हत्या एक बड़े इज़राइली हमले की शुरुआत है.