9/11 Attack: 9/11 के आतंकी हमले को शायद कभी भी भुलाया नहीं जा सकता है. इस आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. इस हमले में आत्मघाती हमलावरों ने चार अमेरिकी यात्री विमानों पर कब्जा कर लिया. दो विमानों ने न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावर्स को निशाना बनाया. दो घंटे में दोनों 110 मंजिला इमारतें धूल में मिल गईं. तीसरा विमान पेंटागन पर गिरा, जबकि चौथा पेंसिल्वेनिया के एक खेत में दुर्घटनाग्रस्त हुआ. इस हमले में करीब 3,000 लोग मारे गए, जिनमें 343 अग्निशमन कर्मी, 72 पुलिसकर्मी और 55 सैन्यकर्मी शामिल थे. हैरानी की बात है कि मृतकों में 90 से ज्यादा देशों के नागरिक थे.
यूनाइटेड फ्लाइट 93 कैलिफोर्निया जा रही थी. नेवार्क हवाई अड्डे से उड़ान भरने के 40 मिनट बाद ही इसका अपहरण हो गया. उड़ान में देरी के कारण यात्रियों को मोबाइल और एयरफोन के जरिए न्यूयॉर्क और वाशिंगटन के हमलों की खबर मिली. यात्रियों ने अपहरणकर्ताओं के खिलाफ विद्रोह किया. थॉमस बर्नेट जूनियर ने अपनी पत्नी को फोन पर कहा कि मुझे पता है, हम सब मरने वाले हैं. लेकिन हम कुछ करेंगे. टॉड बीमर ने कहा कि क्या तुम तैयार हो? चलो शुरू करते हैं. फ्लाइट अटेंडेंट सैंडी ब्रैडशॉ ने उबलता पानी तैयार किया. यात्रियों ने कॉकपिट में घुसने की कोशिश की, जिसके जवाब में अपहरणकर्ताओं ने विमान को पेंसिल्वेनिया के शैंक्सविले में गिरा दिया. विमान में सवार सभी 44 लोग मारे गए.
हमलों के बाद अमेरिका ने ऐतिहासिक कदम उठाया. संघीय उड्डयन प्रशासन ने सभी नागरिक विमानों की उड़ानें रोक दीं. 4,500 से ज्यादा विमानों को तुरंत उतरने का आदेश दिया गया. कई दिनों तक अमेरिका का आसमान खाली रहा. यह अमेरिकी इतिहास में पहली बार हुआ. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पहली बार निशाना नहीं बना था. फरवरी 1993 में इसके उत्तरी टावर के पार्किंग गैराज में ट्रक बम विस्फोट हुआ था. उस हमले में छह लोग मारे गए और 1,000 से ज्यादा घायल हुए.
ट्विन टावर्स में रोजाना 50,000 कर्मचारी काम करते थे. 40,000 लोग रोज वहां से गुजरते थे. अगर हमला दिन के बाद हुआ होता, तो नुकसान और भयावह हो सकता था. फिर भी, मलबे से 18 लोगों को जिंदा निकाला गया, जो किसी चमत्कार से कम नहीं था. ग्राउंड जीरो से मलबा हटाने में नौ महीने लगे. करीब 18 लाख टन मलबा हटाया गया. बचावकर्मियों, निर्माण कर्मियों और स्वयंसेवकों ने खतरनाक हालात में काम किया. ज़हरीली धूल के कारण बचावकर्मियों और बचे लोगों को फेफड़ों की बीमारियां हुईं. कई लोग अभिघातज तनाव विकार (PTSD) से जूझ रहे हैं. 2019 में अमेरिकी सीनेट ने 9/11 पीड़ित मुआवजा कोष को स्थायी रूप से वित्तपोषित किया, ताकि पीड़ितों को बार-बार मदद मांगने न पड़े.