फार्मा के बाद फर्नीचर सेक्टर पर फूटा ट्रंप का टैरिफ बम, जानें भारतीय बाजारों पर कितना होगा इसका असर  

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए हैं. इन फैसलों से अमेरिका के लोगों को फायदा हो या न हो, लेकिन इनसे दूसरे देशों को नुकसान ज़रूर हुआ है. फार्मा के बाद अब ट्रंप ने फर्नीचर आयात पर टैरिफ बढ़ा दिया है.

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Donald Trump Tariff War: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल में कई बड़े फैसले लिए हैं. इन फैसलों से अमेरिका के लोगों को फायदा हो या न हो, लेकिन इनसे दूसरे देशों को नुकसान ज़रूर हुआ है. फार्मा के बाद अब ट्रंप ने फर्नीचर आयात पर टैरिफ बढ़ा दिया है.

उन्होंने फर्नीचर आयात पर टैरिफ का नया प्रस्ताव पेश किया है. आने वाले 50 दिनों में इसकी जांच पूरी हो जाएगी और इसकी दर तय की जाएगी. ट्रंप का मानना ​​है कि इस फैसले से अमेरिकी उद्योग जगत को और भी मजबूती मिलेगी. उनका मानना ​​है कि इस फैसले से वह अमेरिकी उत्पादन को देश के अंदर ला पाएंगे.

अमेरिकी उद्योगों को क्यों दे रहे बूस्ट?

ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा है कि फर्नीचर आयात पर टैरिफ लगाने का उद्देश्य अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को वापस पटरी पर लाना है. उन्होंने नॉर्थ कैरोलाइना, साउथ कैरोलाइना और मिशिगन जैसे राज्यों का उदाहरण दिया, जहां कभी फर्नीचर उद्योग फल-फूल रहा था.

सस्ते विदेशी श्रम और कम लागत के कारण कंपनियां अपना उत्पादन एशिया और अन्य क्षेत्रों में शिफ्ट कर चुकी हैं. ट्रंप का मानना है कि ऊंचे टैरिफ से आयातित फर्नीचर महंगे हो जाएंगे, जिससे कंपनियां अमेरिका में ही उत्पादन शुरू करने को मजबूर होंगी. यह कदम ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट, 1962 की धारा 232 के तहत लिया जा रहा है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर टैरिफ लगाने की अनुमति देता है.

जांच पूरी होने के बाद टैरिफ मौजूदा शुल्क के अतिरिक्त लगेगा या उसकी जगह लेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है. ट्रंप की यह नीति व्यापक है, जिसमें कॉपर, सेमीकंडक्टर और दवाओं पर भी टैरिफ पर विचार हो रहा है, ताकि अमेरिका विदेशी निर्भरता से मुक्त हो सके.

जानें किस कंपनी को फायदा, किसे नुकसान?

ट्रंप के ऐलान ने अमेरिकी शेयर बाजार में तुरंत असर दिखाया. विदेशी आयात पर निर्भर कंपनियों जैसे Wayfair, RH और Williams-Sonoma के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, क्योंकि टैरिफ से उनके लागत बढ़ सकती है.

विश्लेषकों का अनुमान है कि यदि टैरिफ लागू होता है, तो घरेलू मैन्युफैक्चरर्स को बड़ा फायदा मिलेगा, जबकि आयातक कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा. यह बदलाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक हो सकता है, लेकिन वैश्विक व्यापार पर दबाव बढ़ाएगा.

12 लाख से घटकर 3.4 लाख नौकरियां

एक समय अमेरिका का फर्नीचर सेक्टर दुनिया का सबसे मजबूत था. 1979 में इस उद्योग में करीब 12 लाख लोग रोजगार पा रहे थे, लेकिन 2023 तक यह संख्या घटकर महज 3.4 लाख रह गई. मुख्य वजह रही आउटसोर्सिंग और विदेशों में सस्ता उत्पादन.

ट्रंप का कहना है कि टैरिफ से न केवल उद्योग मजबूत होगा, बल्कि हजारों नौकरियां भी वापस लौटेंगी. यह कदम अमेरिकी श्रमिकों के लिए राहत साबित हो सकता है, खासकर उन राज्यों में जहां बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है.

फर्नीचर निर्यात को बड़ा झटका

ट्रंप के इस फैसले का सबसे ज़्यादा असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर पड़ेगा. भारत अमेरिका को बड़ी मात्रा में फर्नीचर निर्यात करता है, जिसमें लकड़ी के सामान, सोफा और अन्य घरेलू सामान शामिल हैं. टैरिफ लगने से भारतीय निर्यातकों को उत्पादों की कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ेगा, जिससे मांग कम हो सकती है.

पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे भारतीय फर्नीचर उद्योग को अब एक नया झटका लग सकता है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इससे भारत को यूरोप या एशिया जैसे वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी पड़ेगी.

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