Nepal: नेपाल की राजधानी में लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक संकट ने आखिरकार विराम पा लिया. शनिवार सुबह पांच बजे सेना ने कर्फ्यू हटा दिया. यह कदम अंतरिम सरकार के गठन के बाद उठाया गया. अशांति के दौरान लगाए गए ये प्रतिबंध अब इतिहास बन गए. लेकिन सतर्कता बरतते हुए कुछ दिनों तक सैनिकों की तैनाती सड़कों पर जारी रहेगी. जनता ने राहत की सांस ली है. दैनिक जीवन पटरी पर लौटने लगा है.
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि आज कोई पाबंदी नहीं है, आवाजाही पूरी तरह स्वतंत्र है. कई दिनों की बंदी के बाद दुकानें खुलीं और बाजारों में रौनक लौट आई. मॉल्स में भीड़ उमड़ने लगी है. साथ ही सड़कों पर गाड़ियों की कतारें दिखाई देने लगीं. कई जगहों पर सफाई का कार्य तेज हो गया. सरकारी भवनों को नुकसान पहुंचा था. प्रदर्शनों में आगजनी हुई थी. तोड़फोड़ के निशान मिटाने का प्रयास जारी है. लोग सामान्य जीवन जीने को बेताब हैं.
पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने मंगलवार को अचानक इस्तीफा दे दिया. इसके महज कुछ घंटों बाद गुस्सैल प्रदर्शनकारियों ने उनके दफ्तर पर धावा बोल दिया. उन्होंने ओली को सोमवार की भयानक झड़पों का दोषी माना. उस दिन कम से कम 19 लोग मारे गए थे. सरकार ने रात होते ही सोशल मीडिया पर लगी रोक हटा ली. यह प्रतिबंध जनता के गुस्से का सबब बना था. सोशल प्लेटफॉर्म्स फिर सक्रिय हो गए.,लोग अपनी बातें साझा करने लगे. नई अंतरिम सरकार ने बड़ा ऐलान किया कि 5 मार्च 2026 से पहले आम चुनाव कराए जाएंगे. यह निर्णय राजनीतिक दलों की आपसी बातचीत से निकला. मकसद है देश में शांति कायम करना. जनता का भरोसा जीतना. लंबे अशांति काल के बाद यह खबर स्वागतयोग्य है. लोग उम्मीद बांधे हैं कि नई सरकार मजबूत बनेगी. लोकतंत्र की जड़ें गहरी होंगी.
शपथ समारोह के ठीक बाद एक खास मुलाकात हुई. राष्ट्रपति भवन शीतल निवास में भारतीय राजदूत नवीन श्रीवास्तव नई अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की से मिले. वे पहले विदेशी राजनयिक बने. बैठक में राजदूत ने पीएम नरेंद्र मोदी का शुभकामना संदेश दिया. नेपाल को मुश्किल दौर से निकलने में भारत की हरसंभव मदद का वादा किया. दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हैं. प्रधानमंत्री कार्की ने भारत का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि नेपाल अपने सबसे करीबी दोस्त के साथ गहरे सहयोग की अपेक्षा रखता है. भारत हमेशा नेपाल के फायदे में खड़ा रहेगा. यह बातचीत सकारात्मक रही. दोनों पक्षों ने भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की. इस पूरे हंगामे में युवाओं की भूमिका अहम रही. नेपाल पुलिस के ताजा आंकड़ों से साफ है कि जेन-जेड के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों में 51 लोग शहीद हो गए. इनमें एक भारतीय नागरिक भी था. सप्ताह की शुरुआत में हिंसा चरम पर पहुंची. ओली के हटने के बाद सेना ने सुरक्षा की कमान संभाली. काठमांडू घाटी समेत कई इलाकों में पाबंदियां लगाईं. लेकिन अब निर्धारित समय में जनजीवन पटरी पर है. युवा पीढ़ी बदलाव चाहती है. उनकी आवाज दबाई नहीं जा सकती.