PoK में विरोध प्रदर्शन तेज, तनाव बढ़ते ही इंटरनेट बंद! जानें क्या हैं उनकी मांगें

PoK Protests: इस्लामाबाद ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आधी रात से सुरक्षा बल तैनात किए और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि क्षेत्र में पूर्ण तालाबंदी की जाए.

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Courtesy: X @MajorPravinRetd)

PoK Protests: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में सोमवार को आवामी एक्शन कमेटी (एएसी) के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुए. प्रदर्शनकारियों ने बंद और चक्का जाम का आह्वान किया, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया. इस्लामाबाद ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आधी रात से सुरक्षा बल तैनात किए और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि क्षेत्र में पूर्ण तालाबंदी की जाए. मुजफ्फराबाद में व्यापारी संगठनों ने लोगों को आवश्यक सामान जमा करने की अनुमति देने के लिए दुकानें खुली रखने का फैसला किया.  

प्रदर्शन को रोकने के लिए पीओके में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं. भारी पुलिस बल और सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में सुरक्षा बलों के काफिले शहर में प्रवेश करते दिख रहे हैं. इससे सख्त कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है. सरकार ने एहतियाती कदम उठाते हुए क्षेत्र में कड़ी निगरानी शुरू कर दी है.  

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें  

विरोध प्रदर्शन कई महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर शुरू हुए हैं. प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि:  

  • पाकिस्तान में बसे कश्मीरी शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 विधानसभा सीटें खत्म की जाएं.  
  • जलविद्युत समझौतों पर दोबारा बातचीत हो.  
  • बढ़ती महंगाई को कम करने के लिए आटा सब्सिडी दी जाए.  
  • बिजली दरों को स्थानीय उत्पादन दरों से जोड़ा जाए ताकि ऊर्जा लागत कम हो.  

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुद्दे का प्रसार  

पीओके के प्रवासी, जो अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप में रहते हैं, भी इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की तैयारी कर रहे हैं. वे विरोध प्रदर्शन कर इस्लामाबाद पर दबाव बनाना चाहते हैं. यह कदम पीओके के मुद्दों को वैश्विक स्तर पर उजागर कर सकता है. रिपोर्ट्स के अनुसार, शहबाज शरीफ सरकार और पाकिस्तानी सेना को डर है कि ये विरोध प्रदर्शन स्वतंत्रता की मांग में बदल सकते हैं. आरक्षित सीटों को खत्म करने की मांग को इस्लामाबाद के लिए चुनौती माना जा रहा है. यह मांग उस राजनीतिक ढांचे को कमजोर कर सकती है, जिसके जरिए इस्लामाबाद ने पीओके पर नियंत्रण बनाए रखा है.  

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