फ्रांस में हिंसा भड़की, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 200 लोग गिरफ्तार

फ्रांस के गृह मंत्रालय ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में करीब 200 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया. यह आंदोलन ऑनलाइन शुरू हुआ और गर्मियों में तेजी से फैला. प्रदर्शनकारियों ने "सब कुछ अवरुद्ध" करने का ऐलान किया था.

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Courtesy: Social Media

Paris Protest: फ्रांस में बुधवार को हिंसा का माहौल देखने को मिला. सड़कें जाम कर दी गईं और जगह-जगह पर आगजनी भी की गई. प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में थे. खासकर, नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को निशाना बनाया गया. गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने "विद्रोह का माहौल" बनाने की कोशिश की.

फ्रांस के गृह मंत्रालय ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के शुरुआती घंटों में करीब 200 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया. यह आंदोलन ऑनलाइन शुरू हुआ और गर्मियों में तेजी से फैला. प्रदर्शनकारियों ने सब कुछ अवरुद्ध करने का ऐलान किया था. इसके बावजूद, 80,000 पुलिसकर्मियों की भारी तैनाती के बीच बैरिकेड्स तोड़े गए और तुरंत गिरफ्तारियां की गईं. पश्चिमी शहर रेनेस में एक बस में आग लगा दी गई, जबकि दक्षिण-पश्चिम में बिजली लाइन को नुकसान पहुंचने से ट्रेन सेवाएं ठप हो गईं.

नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति  

राष्ट्रपति मैक्रों ने हाल ही में सेबेस्टियन लेकोर्नू को फ्रांस का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया. 39 वर्षीय लेकोर्नू फ्रांस के सबसे कम उम्र के रक्षा मंत्रियों में से एक रहे हैं. वे मैक्रों के लंबे समय से वफादार हैं. उन्हें देश के विवादास्पद राजनीतिक दलों को एकजुट कर बजट पर सहमति बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. यह काम आसान नहीं है, क्योंकि फ्रांस की अर्थव्यवस्था यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. लेकोर्नू एक साल में फ्रांस के चौथे प्रधानमंत्री हैं, जो देश में राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाता है. सेबेस्टियन लेकोर्नू 2017 में मैक्रों के मध्यमार्गी आंदोलन में शामिल हुए थे. इससे पहले वे रूढ़िवादी दल से जुड़े थे. उन्होंने स्थानीय सरकारों, विदेशी क्षेत्रों और येलो वेस्टआंदोलन के दौरान मैक्रों की "महान बहस" में अहम भूमिका निभाई. 2021 में ग्वाडेलोप में अशांति के समय उन्होंने स्वायत्तता पर बातचीत की पेशकश की थी. रक्षा मंत्री के रूप में, उन्होंने 2030 तक सैन्य निर्माण की योजना बनाई, जो रूस-यूक्रेन युद्ध से प्रेरित थी.

राजनीतिक संकट गहराया  

फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता कोई नई बात नहीं है. सोमवार को विधायकों ने विश्वास मत में तत्कालीन प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू और उनकी सरकार को हटा दिया. यह घटना फ्रांस के लिए एक नया संकट लेकर आई. प्रदर्शनकारी और विपक्षी दल मैक्रों की नीतियों का विरोध कर रहे हैं. जनता में भी असंतोष बढ़ रहा है. नए प्रधानमंत्री के सामने देश को एकजुट करने और आर्थिक स्थिरता लाने की बड़ी चुनौती है. फ्रांस में हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल ने पूरे यूरोप का ध्यान खींचा है. प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर रहे हैं, और सरकार सख्ती से जवाब दे रही है. क्या लेकोर्नू इस संकट को संभाल पाएंगे? यह सवाल हर किसी के मन में है. फ्रांस की स्थिति पर दुनिया की नजरें टिकी हैं.

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