US-Venezuela Conflict: अमेरिका और वेनेजुएला के रिश्तों में तनाव नया नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में दोनों देशों की टकराहट बेहद खतरनाक मोड़ पर पहुंच गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार वेनेजुएला पर ड्रग तस्करी के गंभीर आरोप लगाते रहे हैं, जबकि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो हर आरोप को सिरे से खारिज करते आए हैं.
इस टकराव ने तब और तूल पकड़ा जब ट्रंप प्रशासन ने वेनेजुएला के एयरस्पेस को बंद करने की अपील की, जिसे मादुरो ने औपनिवेशिक धमकी बताते हुए कठोर प्रतिक्रिया दी. गौरतलब है कि हाल ही में दोनों नेताओं के बीच बातचीत भी हुई है, लेकिन ट्रंप ने बातचीत की जानकारी साझा करने से साफ इंकार कर दिया. इससे संकेत मिलता है कि हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं.
तनाव की जड़ें शावेज के समय से
अमेरिका–वेनेजुएला तनाव सिर्फ राष्ट्रपति मादुरो के दौर की उपज नहीं है. ह्यूगो शावेज से लेकर मादुरो तक, वेनेजुएला की वामपंथी सरकारों ने लगातार अमेरिका पर ‘साम्राज्यवादी दखल’ का आरोप लगाया है. उनका मानना रहा है कि अमेरिका सीधे सत्ता परिवर्तन तो नहीं करता, लेकिन कमज़ोर देशों की आंतरिक राजनीति में दबाव बनाकर हस्तक्षेप जरूर करता है.
वेनेजुएला ने कभी भी अमेरिका की नीतियों के आगे झुकने का रास्ता नहीं चुना. यही कारण है कि दोनों देशों के बीच कटुता समय के साथ और बढ़ती गई. ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका ने वेनेजुएला पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिनमें सबसे बड़ा झटका था तेल उद्योग पर प्रतिबंध, जो वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है.
ट्रंप की धमकियां और मादुरो का जवाब
आर्थिक दबाव काम न आता देख ट्रंप ने खुली धमकी दी थी कि अमेरिका वेनेजुएला में शासन परिवर्तन कर सकता है. लेकिन मादुरो लगातार अड़े रहे और अमेरिकी दबाव के सामने झुकने से इंकार कर दिया.
मादुरो पर ड्रग तस्करी के गंभीर आरोप लगाते हुए ट्रंप प्रशासन ने उन्हें “दुनिया का सबसे बड़ा ड्रग तस्कर” घोषित कर दिया. 2020 में न्यूयॉर्क की अदालत में नार्को-टेररिज्म और कोकीन तस्करी को लेकर मामला भी दर्ज हुआ. शुरुआत में अमेरिका ने मादुरो की गिरफ्तारी पर 217 करोड़ रुपये का इनाम रखा था, जिसे अगस्त 2025 में बढ़ाकर 435 करोड़ रुपये कर दिया गया.
मादुरो का जवाब भी उतना ही तीखा था, “अगर ट्रंप में हिम्मत है, तो पकड़कर दिखाओ.” यह बयान दोनों देशों के बीच बढ़ती दुश्मनी का सबसे बड़ा प्रतीक बन गया.
तेल: संघर्ष की असली वजह
वेनेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल भंडार वाले देशों में से एक है. दिलचस्प बात यह है कि जिस तेल उद्योग पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया, उसी से वह वर्षों तक तेल खरीदता रहा. इसी साल मार्च में ट्रंप ने उन देशों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया जो वेनेजुएला से तेल या गैस खरीदते हैं. इसका लक्ष्य वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को कमजोर करना और तेल उद्योग पर नियंत्रण हासिल करना था, लेकिन यह रणनीति उम्मीद के मुताबिक काम नहीं कर पाई.
भौगोलिक स्थिति भी बढ़ाती है तनाव
वेनेजुएला की उत्तरी सीमा कैरेबियन और अटलांटिक महासागरों से मिलती है. यह क्षेत्र समुद्री व्यापारिक मार्गों और तेल निर्यात के लिए बेहद अहम है. कई महत्वपूर्ण आइलैंड और नौसैनिक रास्ते अमेरिका की सामरिक नीतियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अमेरिका इस इलाके में अपना प्रभाव बनाए रखना चाहता है, जबकि मादुरो की नीति इससे बिल्कुल उलट है. यही कारण है कि अमेरिकी दबाव और धमकियों के बावजूद वेनेजुएला बार-बार अमेरिकी रणनीतियों को असफल करता रहा है.