Zelensky: यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने भारत जैसे देशों पर अमेरिकी टैरिफ का समर्थन किया है. एबीसी न्यूज़ को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर टैरिफ लगाना सही कदम है. यह बयान तब आया जब उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के लिए चीन यात्रा के बारे में पूछा गया. इस दौरान उनकी तस्वीर रूस और चीन के नेताओं के साथ दिखी थी. ज़ेलेंस्की का यह रुख रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के विस्तार की चर्चा के बीच सामने आया है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को रूस के खिलाफ प्रतिबंधों को और सख्त करने की बात कही. राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के निदेशक केविन हैसेट ने भारत का नाम लेते हुए कहा कि रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर आर्थिक कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हालिया हमलों का हवाला देते हुए कहा कि हमारी ज़िम्मेदारी है कि प्रतिबंध लागू हों. भारत जैसे देश जो रूसी तेल खरीद रहे हैं, उन्हें जवाब देना होगा." हैसेट ने यह भी संकेत दिया कि प्रतिबंधों पर जल्द ही और चर्चा होगी.
क्या है भारत का रूख?
भारत ने यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए अपनी कूटनीतिक कोशिशें तेज़ कर दी हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने दो बार ज़ेलेंस्की से बात की. उन्होंने एक्स पर लिखा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में हर संभव मदद करेगा. मोदी ने ज़ेलेंस्की के साथ बातचीत में भारत की स्थिति स्पष्ट की और यूक्रेन के साथ संबंधों को और मज़बूत करने की बात कही. इसके अलावा, मोदी ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, यूरोपीय परिषद के प्रमुख एंटोनियो कोस्टा और फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से भी इस मुद्दे पर चर्चा की.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेनी समकक्ष आंद्रेई सिबिहा से बात की. उन्होंने कहा कि भारत युद्ध को जल्द खत्म करने और स्थायी शांति स्थापित करने का समर्थन करता है. जयशंकर ने भारत की शांति की वकालत को दोहराया और वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को उठाने की प्रतिबद्धता जताई. यूक्रेन-रूस युद्ध वैश्विक कूटनीति का अहम मुद्दा बना हुआ है. भारत ने इस संकट में तटस्थ रुख अपनाया है और शांति के लिए मध्यस्थता की कोशिश की है. लेकिन ज़ेलेंस्की का टैरिफ समर्थन और अमेरिका के प्रतिबंधों की बात ने भारत के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी की हैं. भारत अब शांति की वकालत के साथ-साथ अपनी आर्थिक नीतियों को भी संतुलित करने की कोशिश में है.