Lifestyle: सिंगल मदर के लिए बच्चों को पालना मुश्किल, डिप्रेशन, अकेलापन, एंग्जाइटी का होते हैं शिकार

Lifestyle: मुंबई हाईकोर्ट में एडवोकेट वंदना शाह का कहना हैं कि जब कोई दंपति एक दूसरे से अलग होता है तो, कोर्ट बच्चे की जिम्मेदारी मां को देता है. इस हालात में सिंगल मदर के लिए कई कानूनी चुनौतियां सामने होती हैं. सबसे बड़ा चैलेंज तो ये होता है कि, वह अपने बच्चे को कैसे […]

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Lifestyle: मुंबई हाईकोर्ट में एडवोकेट वंदना शाह का कहना हैं कि जब कोई दंपति एक दूसरे से अलग होता है तो, कोर्ट बच्चे की जिम्मेदारी मां को देता है. इस हालात में सिंगल मदर के लिए कई कानूनी चुनौतियां सामने होती हैं. सबसे बड़ा चैलेंज तो ये होता है कि, वह अपने बच्चे को कैसे पति से दूर रखे. कोर्ट डिवोर्स के उपरांत पिता को बच्चे के पालन-पोषण करने के लिए एक निश्चित राशि देना तय कर देती है. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि पुरुष ये पैसे समय पर नहीं भेजते हैं. खुशहाल शादी-शुदा जिन्दगी में पति-पत्नी अपने कार्यों की जिम्मेदारी को बांट लेते हैं. लेकिन डिवोर्स के होने के बाद सारी जिम्मेदारी मां पर आ जाती है.

डिवोर्स के बाद बच्चा पालना मुश्किल

बच्चा जब जन्म लेता है तो, सबसे पहले मम्मी-पापा बोलने की शुरूआत करता है. उसके लिए उसकी दुनिया मां-पापा से शुरू होती है. जिस रफ्तार से सोसाइटी बदल रही है उसका असर रिश्तों पर भी देखने को मिलता है. सबसे अधिक बदलते समाज का असर शादीशुदा रिश्तों पर होता है. जिसमें पति-पत्नी के बिखरते संबंधों में बच्चे का भविष्य खराब होता है. जैसे-जैसे डिवोर्स के मामलों में तेजी दिख रही है, वैसे ही सिंगल पेरेंट का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है. सिंगल पेरेंट ट्रेंड ने समाज में कई शब्दों को पैदा कर दिया है. जहां बच्चे बिना मां-पापा के घर में रहकर अकेलेपन का शिकार हो जाते हैं. साथ ही मां नौकरी करने की वजह से बच्चे को पूरा समय नहीं दे पाती है. जिससे बच्चा डिप्रेशन में चला जाता है.

यूएन की वुमन रिपोर्ट

साल 2019 की यूएन वुमन की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 1.3 करोड़ सिंगल मदर्स की संख्या हैं. यह सर्वे 89 देशों में किया गया है. भारत में 12.5% लोन पेरेंट परिवार चलाने के लिए एक महिला का होना कठिन है. अकेली महिला बच्चे को पालन- पोषण कर रही है. आज की सोसाइटी में लोन पेरेंट होम यानी घर पर अकेले पेरेंट को Broken Home (ब्रोकन होम) नाम दिया गया है. इस ब्रोकन होम से जहां एक महिला की जिंदगी बदलती दिख रही है, वहीं बच्चे की सोच एवं पर्सनैलिटी पर भी असर पड़ रहा है. सिंगल मदर के लिए बच्चे की पेरेंटिंग बहुत कठिन होती है.

बच्चे को है विदेश ले जाने में दिक्कत

आपको बता दें कि डिवोर्स के बाद कोई महिला अपने बच्चे के साथ विदेश जाने की सोचती है तो, उसे एक्स हस्बैंड से NOC लेने की जरूरत पड़ती है. जिसमें लिखना होता है कि, पिता को बच्चे को उसकी मां के साथ भेजने में कोई दिक्कत नहीं है.