Eid ul Adha 2025: ईद-उल-अज़हा यानी बकरीद , मुसलमानों का एक प्रमुख त्योहार माना जाता है. यह त्योहार पैगंबर इब्राहिम की भक्ति और आज्ञाकारिता को याद करता है. भारत में इस साल बकरीद 7 जून को मनाई जाएगी. यह उत्सव हज यात्रा के समापन के साथ शुरू होता है.
ईद-उल-अज़हा पैगंबर इब्राहिम की कहानी को दर्शाता है. उन्होंने ईश्वर की आज्ञा पर अपने बेटे की बलि देने की इच्छा दिखाई. यह त्योहार भक्ति, विश्वास और त्याग का प्रतीक है. लोग इस दिन एकजुट होकर प्रार्थना करते हैं. यह सामुदायिक एकता को बढ़ाता है.
कुर्बानी और दान की परंपरा
बकरीद पर हलाल जानवरों की कुर्बानी की रस्म होती है. जिसमें भेड़ या बकरी की कुर्बानी दी जाती है. इसके बाद इसे तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्सा परिवार, एक दोस्तों और एक जरूरतमंदों के लिए होता है. लोग गरीबों की मदद करते हैं. बकरीद का उत्सव दावतों के बिना अधूरा है. स्वादिष्ट व्यंजन इस त्योहार का मुख्य आकर्षण हैं. परिवार और दोस्त एक साथ खाने का आनंद लेते हैं. कुछ लोकप्रिय व्यंजनों में मटन बिरयानी, निहारी, मटन कोरमा, कीमा समोसा और शीर खुरमा शामिल हैं.
दावत में बनाएं ये टेस्टी डिश
मटन बिरयानी हर ईद की मेज का मुख्य व्यंजन है. इसे मैरीनेट मटन, बासमती चावल और मसालों के साथ धीमी आंच पर पकाया जाता है. केसर और घी इसे खास बनाते हैं.
निहारी एक स्वादिष्ट स्टू है. इसे मटन या बीफ, मसालों और बोन मैरो के साथ बनाया जाता है. धीमी आंच पर घंटों पकने से इसका स्वाद गहरा होता है. इसे नाश्ते में परोसा जाता है.
मटन कोरमा दही और मसालों की करी है. यह नान या पराठे के साथ खाया जाता है. कीमा समोसा कुरकुरा और मसालेदार होता है. इसे चटनी के साथ परोसने से मजा दोगुना हो जाता है.
शीर खुरमा बकरीद की खास मिठाई है. इसे सेंवई, दूध, खजूर और सूखे मेवों से बनाया जाता है. यह मलाईदार और स्वादिष्ट होता है. यह दावत का शानदार अंत करता है.
ईद-उल-अज़हा सिर्फ खाने-पीने का त्योहार नहीं है. यह लोगों को जोड़ता है. प्रार्थनाएं, कुर्बानी और दावतें समाज में प्यार और एकता बढ़ाती हैं. यह त्योहार गरीबों की मदद का मौका देता है.