भारत में अब कब दिखेगा अगला चंद्र ग्रहण, जानें तारीख और समय

भारत भर के कई राज्यों में रविवार तड़के चंद्रग्रहण साफ तौर पर देखने को मिला. इस खगोलीय घटना को देखने वालों में अलग उत्साह देखने को मिला. अब लोगों को अगले चंद्रग्रहण का इंतजार है.

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Courtesy: Social Media

Chandra Grahan: भारत भर के कई राज्यों में रविवार तड़के चंद्रग्रहण साफ तौर पर देखने को मिला. इस खगोलीय घटना को देखने वालों में अलग उत्साह देखने को मिला. अब लोगों को अगले चंद्रग्रहण का इंतजार है. तो आज हम आपको बताएंगे कि अगला चंद्रग्रहण कब लगेगा. 2026 में खगोलीय घटनाओं का रोमांच एक बार फिर दुनिया को आकर्षित करेगा. 

इस साल दो चंद्र ग्रहण होंगे, जो मार्च और अगस्त में घटित होंगे. एक आंशिक और एक पूर्ण चंद्र ग्रहण के साथ, ये घटनाएं वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होंगी. इस साल का पहला चंद्र ग्रहण 3 मार्च को लगने वाला है. यह आंशिक चंद्र ग्रहण होली के ठीक पहले, फाल्गुन पूर्णिमा के दिन घटित होगा. 

साल का पहला चंद्र ग्रहण 

फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण शाम साढ़े 6 बजे शुरू होगा और 6:46 बजे समाप्त होगा. इसकी कुल अवधि 20 मिनट 28 सेकंड होगी. यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका में दिखाई देगा. भारत में इसे साफ तरीके से देखा जा सकता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल सुबह 10 बजे के आसपास शुरू होकर ग्रहण की समाप्ति तक रहेगा. इस दौरान शुभ कार्य और पूजा-पाठ वर्जित होंगे. यह ग्रहण भारत में दृश्य होने के कारण धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा. लोग इस दौरान विशेष सावधानी बरतेंगे.

कब लगेगा दूसरा चंद्र ग्रहण?

इसी साल में दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अगस्त को लगने वाला है. यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में होगा. यह ग्रहण उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा. इसलिए, यहां सूतक काल लागू नहीं होगा. चूंकि यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इसका धार्मिक प्रभाव यहां नहीं पड़ेगा. लोग सामान्य रूप से अपने कार्य कर सकेंगे. चंद्र ग्रहण तब लगता है जब, सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा सीधे एक लाइन में आकर एक दूसरे को ढ़क देते हैं. इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है, जिससे वह कुछ समय के लिए अदृश्य या लाल रंग का दिखाई देता है. वैज्ञानिक इसे एक सामान्य खगोलीय घटना मानते हैं, जो प्रकृति के नियमों का हिस्सा है.

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