Hathras Tragedy: हाथरस के सिंकदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में हुई 121 लोगों की मौत के लिए बाबा के सेवादार, निजी सुरक्षा कर्मी और आयोजकों को जिम्मेदार बताया गया है. क्यो न आयोजन की अनुमति देने वाले एसडीएम की रिपोर्ट हो या सिंकदराराऊ थाने में दर्ज मुकदमा. इन दोनों ही रिपोर्ट में भगदड़ के लिए इन्हें ही जिम्मेदार बताया जा रहा है. वही इसके लिए आयोजकों को दोषी माना गया है कि उन्होंने पूर्व के सत्संगों में जुटने वाली भीड़ की स्थिति को छिपाते हुए केवल 80 हजार की भीड़ होने की अनुमति मांगी थी. जबकि शासन स्तर से अफसरों को भी क्लीन चिट दे दी गई है. अब सवाल यह है कि जब प्रशासन को पहले से पता था कि 80 हजार की भीड़ जुटेगी तो उस तरह का इंतजाम क्यों नहीं किए गए. इन सभी सवालों का जवाब अभी तक कोई नहीं दे पाया है.
इस पूरे मामले में अभी तक किसी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं हुई है. मुख्यमंत्री के साथ हाथरस पहुंचे मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया. भगदड़ में घायल लोगों से बात की. अधिकारियो से भी जानकारी ली लेकिन बाद में इन अधिकारियो ने जिम्मेदार केवल आयोजकों और बाबा के सेवादारों को ही ठहराया. इन दोनों अधिकारियों के रुख से हाथरस के अधिकारियों ने भी चैन भरी सांस ली. वहीं, अलीगढ़ की कमिश्नर चैत्रा वी ने बताया कि प्रकरण की जांच की जा रही है. कई बिंदुओं पर गंभीरता से परीक्षण किया जा रहा है.
सत्संग में भगदड़ से हुई लोगों की मौत के मामले में दर्ज रिपोर्ट में बाबा का नाम क्यों नहीं है, यह सवाल भी सीएम और पुलिस अफसरों के सामने खूब गूंजे. मीडिया अफसरों से बार-बार सवाल पूछते रहे कि क्या बाबा का नाम भी मुकदमे में शामिल किया जा रहा है. इस पर किसी का कोई जवाब नहीं आया. जबकि अधिकारी बार-बार यही कहते रहे कि जांच की जाएगी, जिसकी भी जिम्मेदारी होगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जिन्होंने इस आयोजन की अनुमति ली थी, उनके खिलाफ मुकदमा होता है. उसके बाद दायरा बढ़ता है. अन्य जो भी लोग जिम्मेदार होंगे, वह जांच के दायरे में आएंगे. यहां अफसरों के सामने मीडिया ने यह भी कहा कि बाबा इतना बड़ी घटना होने के बाद भी नहीं आए. बाबा को रुककर लोगों की मदद करानी चाहिए थी. घायलों का हाल जानना चाहिए था.
वही पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन का कहना है कि इतने बड़े आयोजन के लिए सुरक्षा व्यवस्था जरूर होनी चाहिए थी. यहा पर कम से कम 600 से 700 पुलिस कर्मी लगाए जाते. पीएसी की कंपनी होती. जब कि बाबा को अपनी एंबुलेंस और डाक्टर की टीम तैनात करना चाहिए था. जिस तरह की घटना हुई है, उसके हिसाब से बाबा पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. वही बाबा इतनी बड़ी घटना होने के बाद मौके से चले गए . बाबा को वहा रुककर लोगों की मदद करनी चाहिए थी.
उपजिलाधिकारी सिकंदराराऊ ने ही फुलरई मुगलगढ़ी गांव में श्री नारायण साकार हरि महाराज उर्फ भोले बाबा के सत्संग की अनुमति दी थी. इस हादसे के बाद एसडीएम ने जिलाधिकारी आशीष कुमार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें यह कहा गया है कि भोले बाबा दोपहर 12:30 बजे सत्संग पंडाल में पहुंचे थे. एक घंटे तक कार्यक्रम चला इसके बाद लगभग 1:40 बजे भोले बाबा पंडाल से निकलकर हाईवे पर एटा की तरफ जाने के लिए आए. जिस रास्ते से बाबा निकल रहे थे, उस तरफ सत्संगी महिलाएं और पुरुष उनके दर्शन व चरण स्पर्श और आशीर्वाद स्वरूप उनकी चरण रज लेकर अपने माथे पर लगाने लगे.
सड़क के डिवाइडर को कूदकर उनके वाहन की तरफ दौड़ने लगे. बाबा के साथ उनके निजी सुरक्षा कर्मी और सेवादारों द्वारा बाबा के पास भीड़ न पहुंचने की स्थिति में भीड़ के साथ खुद ही धक्का-मुक्की करना शुरू कर दिया, जिससे कुछ लोग नीचे गिर गए. तब भी भीड़ नहीं मानी. अफरातफरी का माहौल हो गया. भीड़ कार्यक्रम स्थल के सामने खुले खेत की तरफ भागी और यहां फिसलकर लोग गिए गए. इसके बाद उठ नहीं सके. भीड़ उनके ऊपर से होकर इधर-भागने लगी.
सिकंदराराऊ थाने के प्रभारी ने 29 जून को पुलिस कप्तान को एक पत्र लिखा था, जिसमें देवप्रकाश मधुकर, मुख्य सेवादार मानव मंगल मिलन सद्भावना समिति द्वारा थाना क्षेत्र के मुगलगढ़ी व फुलरई के पास हाईवे किनारे 2 जुलाई को साकार नारायण विश्व हरि भोले बाबा द्वारा सत्संग किया जाना प्रस्तावित बताया है. जिसमें आसपास के जिलो से करीब 1 लाख भक्तों के शामिल होने की संभावना है. निवेदन है कि इस कार्यक्रम को सकुशल संपन्न कराने हेतु पुलिस बल उपलब्ध कराने की कृपा करें.
हाथरस में हुए हादसे के बाद देर रात भोले बाबा कस्बा स्थित अपने आश्रम पर पहुंचे. तभी से पुलिस प्रशासन ने आश्रम की किलेबंदी कर दी. अब भोले बाबा के आश्रम पर यूपी पुलिस की नजर है. जबकि आश्रम के अंदर बाबा भोले की मौजूद होने से पुलिस इन्कार कर रही है. इसके बाद आश्रम के आसपास लगातार पुलिस बल की संख्या बढ़ती गई. आश्रम की किलेबंदी करने के साथ ही बाबा भोले को नजरबंद कर दिया गया. वही पुलिस अधिकारियों ने बाबा के आश्रम में मौजूद होने से इनकार किया. जबकि आश्रम के एक सेवादार ने भोले बाबा के आश्रम में होने की पुष्टि की. सेवादार ने बताया कि मंगलवार को दिन में 3 बजे बाबा आश्रम में आए और तभी से किसी का भी आश्रम में प्रवेश को रोक दिया गया है.