Chief Election Commissioner Bill: संसद के शीतकालीन सत्र का आज 9वां दिन है. इस दौरान मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें एवं पदावधि) विधेयक 2023 आज यानि मंगलवार को राज्यसभा से पारित हो गया है. बिल को पूरे ध्वनि मत के साथ मंजूरी दी गई. केंद्र सरकार की तरफ से केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इस विधेयक को पेश किया. बिल को लेकर सदन में जमकर हंगामा देखने को मिला.
विधेयक पर सरकार और विपक्ष की और से जारी चर्चा के बीच केन्द्रीय मंत्री मेघवाल ने जवाब देते हुए कहा कि इस बिल को अगस्त 2023 में राज्यसभा में पेश किया गया था, और इसमें मूल कानून में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं था.
केन्द्रीय मंत्री ने चर्चा के दौरान आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस विधेयक के संबंध में एक कानून बनाने का निर्देश दिया था. इसे ध्यान में रखते हुए ये विधेयक लाया गया है. इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इससे चुनाव आयोग की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है.
विपक्ष की तरफ से विधेयक को लेकर आपत्तियों को खारिज करते हुए केन्द्रीय मंत्री मेघवाल ने कहा कि निर्वाचन आयोग एक दम निष्पक्ष है. इस संसोधन विधेयक के बाद भी निष्पक्ष ही रहेगा. सरकार इसके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. यह विधेयक पूरी तरह से प्रगतिशील है. मेघवाल ने बताया यह एक सरकारी संसोधन विधेयक है.
इसके अंदर सर्च कमेटी और चयन समिति दोनों ही प्रावधान मौजूद है. इसमें वेतन को लेकर भी एक प्रावधान है. इसमें एक प्रावधान यह भी है कि मुख्य चुनाव आयुक्त यदि कोई एक्शन लेते हैं तो तो उन्हें कोर्ट की कार्रवाई से छूट दी गयी है.
विधेयक पर दावा करते हुए कांग्रेस ने कहा कि इसके पीछे सरकार का उद्देशय चुनाव आयोग को जेबी चुनाव आयोग बनाकर इसे अपनी मनमर्जी से चलाने की है. कांग्रेस सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि निष्पक्षता, निर्भीकता, स्वयात्तता और शुचिता चुनाव के आधारस्तंभ होते हैं. उन्होंने दावा कि यह प्रस्तावित कानून इन चारों को बुलडोजर से कुचल देने वाला है.