किश्तवाड़ में बादल फटने से तबाही, 10 की मौत की आशंका!

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पड्डेर उप-मंडल के चिशोती गाँव में गुरुवार को भीषण बादल फटने की घटना हुई. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, कम से कम 10 लोगों के मारे जाने की आशंका है.

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Courtesy: Social Media

Jammu and Kashmir Cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पड्डेर उप-मंडल के चिशोती गाँव में गुरुवार को भीषण बादल फटने की घटना हुई. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, कम से कम 10 लोगों के मारे जाने की आशंका है. यह हादसा वार्षिक मचैल माता यात्रा के तीर्थ मार्ग पर हुआ.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि घटना की जानकारी उन्हें जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता और स्थानीय विधायक सुनील कुमार शर्मा से मिली. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि चोसिटी इलाके में भीषण बादल फटा है, जिससे जनहानि की संभावना है. प्रशासन सक्रिय है, बचाव दल मौके के लिए रवाना हो चुके हैं. हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी.

 बचाव कार्य तेज करने के निर्देश

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने हादसे पर दुख जताया. उन्होंने पीड़ितों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की . प्रशासन, पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को बचाव और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं. देश में मानसूनी बारिश का सबसे ज्यादा असर पहाड़ी राज्यों पर हो रहा है. उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में पिछले दिनों कई बादल फटने और भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं.

उत्तराखंड में भूस्खलन और पुल का पुनर्निर्माण

उत्तरकाशी में बादल फटने के कुछ दिन बाद, चमोली जिले के नंदप्रयाग में भारी बारिश से भूस्खलन हुआ, जिससे सड़कें बाधित हो गईं. जिला मजिस्ट्रेट संदीप तिवारी ने बताया कि सड़क खोलने का काम जारी है.इसके अलावा, हर्षिल को जोड़ने वाले पुल का पुनर्निर्माण किया गया है ताकि 5 अगस्त को धराली और हर्षिल में आई बाढ़ के बाद राहत सामग्री और मशीनरी की आवाजाही संभव हो सके. हिमाचल प्रदेश में भी बादल फटने और अचानक आई बाढ़ से भारी तबाही हुई है. 396 सड़कें बंद हैं, कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और कुछ पंचायतों का संपर्क टूट गया है.

मौसम विभाग ने 20 अगस्त तक भारी बारिश की चेतावनी देते हुए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह अलर्ट पर हैं. पहाड़ी इलाकों में यात्रियों और स्थानीय लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है. विशेषज्ञों के मुताबिक, मानसून के इस चरण में पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन का खतरा अधिक रहता है.

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