Sadiq Raja: कोयंबटूर पुलिस ने 1996 के बम विस्फोट मामले में बड़ी सफलता हासिल की है. पुलिस ने मुख्य आरोपी सादिक राजा को लगभग तीन दशकों तक फरार रहने के बाद गिरफ्तार कर लिया. उसे कर्नाटक के विजयपुरा से पकड़ा गया, जहां वह फर्जी पहचान के साथ छिपकर रह रहा था.
सादिक राजा चामराजनगर जिले के गुंडलुपेट का मूल निवासी है. 1996 के कोयंबटूर बम विस्फोट के बाद से वह फरार था. पुलिस के अनुसार, वह तमिलनाडु से बेंगलुरु, फिर हुबली और अंत में विजयपुरा में जाकर बस गया. पिछले 12 सालों से वह सब्जी बेचने का काम कर रहा था. उसने एक छद्म नाम अपनाया और हुबली में एक स्थानीय महिला से शादी भी की. इससे वह स्थानीय समुदाय में आसानी से घुल-मिल गया.
जांच में पता चला कि सादिक राजा केवल कोयंबटूर विस्फोट में ही शामिल नहीं था. उसकी भूमिका मदुरै और नागोर में हुए विस्फोटों सहित अन्य आतंकी घटनाओं में भी थी. वह अपनी पहचान छिपाने के लिए बार-बार नाम और ठिकाना बदलता रहा. उसने कई फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल किया ताकि पुलिस की नजरों से बचा रहे. कोयंबटूर पुलिस ने विश्वसनीय खुफिया जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई की. अभियान को पूरी गोपनीयता के साथ पूरा किया गया था. विजयपुरा की स्थानीय पुलिस को भी अंतिम चरण तक कोई जानकारी नहीं थी. तमिलनाडु आतंकवाद निरोधी दस्ते और कोयंबटूर शहर पुलिस की संयुक्त टीम ने इस ऑपरेशन का नेतृत्व किया. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "सादिक बार-बार अपना नाम और ठिकाना बदलता था. वर्षों की तलाश और अन्य आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर हमने उसकी पहचान की पुष्टि की."
गिरफ्तारी के बाद सादिक राजा को हिरासत में लिया गया. उसे पूछताछ और कानूनी कार्रवाई के लिए तमिलनाडु लाया गया है. पुलिस को उम्मीद है कि उससे पूछताछ में दक्षिण भारत में सक्रिय अन्य भगोड़ों और आतंकी नेटवर्कों के बारे में अहम जानकारी मिल सकती है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने इस सफलता के लिए आतंकवाद निरोधी दस्ते की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि 2023 में गठित यह दस्ता आतंकी गतिविधियों पर नकेल कसने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह गिरफ्तारी पुराने आतंकी मामलों को सुलझाने में पुलिस की मेहनत का सबूत है. अधिकारियों का मानना है कि सादिक की गिरफ्तारी से कई अन्य मामलों में सुराग मिल सकते हैं. कोयंबटूर पुलिस इस मामले में आगे की जांच कर रही है.