Giriraj Singh: गिरिराज सिंह ने हिंदुओं को दिया सलाह, 'हिन्दू सिर्फ झटका मीट खाएं', मुस्लिमों की भी तारीफ की

Giriraj Singh: केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक बार फिर हलाल और झटका मीट पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने बेगूसराय में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए हिंदुओं को झटका मीट न खाने की सलाह दी है

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हाइलाइट्स

  • गिरिराज सिंह बोले- हलाल मीट खा कर खुद को भ्रष्ट न करें हिन्दू
  • ऐसे कसाईखाने हों जहां सिर्फ झटका तरीके से जानवरों का वध किया जाए

Giriraj Singh: अपने विवादित बयानों के लिए हमेशा चर्चा में रहने वाले केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी के फायरब्रांड नेता माने जाने वाले गिरिराज सिंह ने एक बार फिर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने 17 दिसम्बर को बिहार के बेगूसराय में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी हिंदुओं को हलाल मांस खाना छोड़ देना चाहिए, हिंदुओं को सिर्फ झटके वाले मीट ही खाना चाहिए. उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वो इस बात की प्रतिज्ञा लें कि वो अब से हलाल मांस खाकर अपना धर्म भ्रष्ट नहीं करेंगे. 

कुछ दिन पहले उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में हलाल मीट प्रोडक्टस पर बैन लगा दी है. जिसके बाद एक बार फिर हलाल और झटका मीट को लेकर चर्चा तेज हो गई है. 

मुस्लिमों की तारीफ में क्या बोले गिरिराज 

हमेशा मुस्लिमों पर तीखे बयान देने वाले गिरिराज सिंह ने इस दौरान मुस्लिम समुदाय की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि मैं उन सभी मुस्लिमों की तारीफ करता हूँ जिन्होंने ये तय किया हुआ है कि वो सिर्फ हलाल मांस ही खाएंगे. इसके साथ ही अपने समर्थकों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अब हिंदुओं को भी अपनी धार्मिक परंपराओं के प्रति इसी तरह की प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए. बता दें कि इस्लाम के अनुसार, झटका मीट खाना प्रतिबंधित है , और वो सिर्फ हलाल मीट का इस्तेमाल करते हैं. 

ऐसे बूचड़खाने हो जहां सिर्फ झटके से जानवरों का वध हो 

केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हलाल और झटका के बारे में बोलते हुए कहा कि जानवरों को मारने का हिन्दू तरीका अलग है, जिसे झटका कहा जाता है. उन्होंने आगे कहा कि जब भी हिंदुओं में जानवरों की बलि दी जाती है तो एक झटके मे ही उसका वध करते हैं. इसलिए हिंदुओं को हलाल मीट खा कर अपने आप को भ्रष्ट नहीं करना चाहिए. हमेशा हिंदुओं को सिफ़ झटका मीट ही खाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे बूचड़खाने बनाए जाने की जरूरत है, जहां जानवरों को झटके के जरिए मारा जाए और सिर्फ झटका मांस बेचने वाली दुकानें हों. 

क्या है हलाल और झटका मीट 

हलाल और झटका दरअसल किसी तरह के जानवर को नहीं बल्कि किसी भी जानवर को काटने के तरीके को कहते हैं. इस्लाम में झटका तरीके से काटे गए मीट खाने की इजाजत नहीं है.  इस्लाम को मानने वाले सिर्फ हलाल मीट ही खाते हैं. हलाल एक अरबी शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “जायज़”.  हलाल तरीके से जानवरों को मारने का तरीका झटका से काफी अलग होता है. इसमें चाकू से जानवरों की गर्दन की नस और सांस लेने वाली नली को काट दिया था. उनकी गर्दन पर बस एक छोटा सा कट लगाया जाता है.

इस दौरान एक दुआ भी पढ़ी जाती है. इसके बाद जानवरों के शरीर से पूरी तरह से खून निकलने का इंतजार किया जाता है. हलाल के दौरान जानवरों की गर्दन तुरंत अलग करके नहीं मारा जाता है, बल्कि एक कट लगाकर छोड़ दिया है. इसके बाद जब वो मर जाता है तब उसे काटा जाता है. इस्लाम में इसे ‘ज़िबाह” करना कहा जाता है. इस्लाम में हमेशा इसी तरह से कुर्बानी दी जाती है और इसके लिए जानवरों का जिंदा और स्वस्थ्य रहना जरूरी है.

जबकि झटका प्रक्रिया में सिर्फ एक झटके में ही जानवरों की गर्दन शरीर से अलग कर दी जाती है. इससे जानवरों की जान एक बार में निकल जाती है जबकि हलाल में जानवर तड़प-तड़प कर मरता है. हालांकि दोनों ही प्रक्रियाओं में जानवरों को मारा जाता है.