नयी पहलों के साथ जलवायु लचीलापन को मजबूती प्रदान करेगा भारत

नई दिल्ली:  सरकार ने शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 में जलवायु लचीलापन और ऊर्जा परिवर्तन को मजबूती प्रदान करने के लिए नयी पहलों की घोषणा की, जिनमें राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, उच्च उपज वाले बीज मिशन और परमाणु ऊर्जा मिशन शामिल हैं.

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Courtesy: Social Media

नई दिल्ली:  सरकार ने शनिवार को केंद्रीय बजट 2025-26 में जलवायु लचीलापन और ऊर्जा परिवर्तन को मजबूती प्रदान करने के लिए नयी पहलों की घोषणा की, जिनमें राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन, उच्च उपज वाले बीज मिशन और परमाणु ऊर्जा मिशन शामिल हैं.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि भारत को जिस साहसिक और व्यापक जलवायु कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है, बजट में उस दिशा में कोई ठोस पहल दिखाई नहीं देती है.

नई पहल और मिशन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार सौर पैनल, ईवी बैटरी, पवन टर्बाइन और इलेक्ट्रोलाइजर बनाने में घरेलू उद्योगों को समर्थन देगी और साथ ही 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन की दिशा में काम करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार छोटे मॉड्यूलर परमाणु रिएक्टरों (एसएमआर) में भी निवेश करेगी और किसानों को सूखे, कीटों और बदलते मौसम से निपटने में मदद करने के लिए बेहतर बीज विकसित करेगी.

सीतारमण ने 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को विकसित करने में मदद करने के लिए एक राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन की भी घोषणा की. सीतारमण ने कहा, ‘‘जलवायु-अनुकूल विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के मद्देनजर यह मिशन स्वच्छ तकनीक विनिर्माण को भी समर्थन देगा.’’

उन्होंने कहा कि इसका जोर सौर पीवी सेल, ईवी बैटरी, मोटर और कंट्रोलर, इलेक्ट्रोलाइजर, पवन टर्बाइन, उच्च वोल्टेज ट्रांसमिशन उपकरण और ग्रिड-स्केल बैटरी पर होगा.

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारतीय किसानों की मदद करने के लिए सरकार 'उच्च उपज देने वाले बीजों पर राष्ट्रीय मिशन' शुरू करेगी. उन्होंने कहा कि यह मिशन अनुसंधान में सुधार करेगा और बेहतर बीज तैयार करेगा जो अधिक उपज दे सके, कीटों का प्रतिरोध कर सके और चरम मौसम की स्थिति में भी टिक सके.

परमाणु ऊर्जा मिशन

सीतारमण ने कहा कि भारत स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के तहत 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘20,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) के अनुसंधान और विकास के लिए एक परमाणु ऊर्जा मिशन स्थापित किया जाएगा. 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर चालू हो जाएंगे.’’

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए, सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम और ‘सिविल लाइबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट’ में बदलाव करेगी.

जलवायु कार्यकर्ता एवं सतत संपदा क्लाइमेट फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक हरजीत सिंह ने कहा कि ईवी बैटरी निर्माण और कृषि में जलवायु लचीलापन बढ़ाने के संक्षिप्त उल्लेखों के अलावा, बजट में साहसिक और व्यापक जलवायु कार्रवाई की दिशा में कोई ठोस पहल दिखाई नहीं देती है, जिसकी भारत को तत्काल आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें अक्षय ऊर्जा को बढ़ाने, जानलेवा वायु प्रदूषण से निपटने, पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने और जलवायु संकट के मोर्चे पर समुदायों की सुरक्षा के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता का अभाव है. पर्यावरणीय क्षरण और बढ़ते जलवायु खतरों के बीच, हमें निर्णायक, परिवर्तनकारी कार्रवाई की जरूरत है.’’

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

ग्लोबल इनर्जी अलायंस फॉर पीपल एंड प्लैनेट (जीईएपीपी) के उपाध्यक्ष (भारत) सौरभ कुमार ने कहा कि इस साल का बजट भारत के अक्षय ऊर्जा में विश्व गुरु बनने के लक्ष्य पर आधारित है. उन्होंने कहा, ‘‘सौर पीवी सेल और ग्रिड-स्केल बैटरी जैसी स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के घरेलू उत्पादन को राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन गति प्रदान करेगा. यह अक्षय ऊर्जा की तैनाती को बढ़ाएगा और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनाएगा.’’

उन्होंने कहा, ‘‘निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान, विकास और नवाचार को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करने से लोगों के वास्ते सकारात्मक ऊर्जा परिवर्तन के लिए अभिनव समाधान विकसित करने की हमारी क्षमता बढ़ेगी.’’

(इस खबर को भारतवर्ष न्यूज की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)

 

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