ISRO: इसरो ने साल 2024 के पहले दिन ही अंतरिक्ष मिशन में एक्स– रे पोलारिमीटर सैटेलाइट लॉन्च कर दिया है, सभी को उम्मीद है कि यह मिशन भारत का इतिहास रचेगा. इस मिशन के माध्यम से अमेरिका के बाद भारत ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों का अध्ययन करने के लिए एक विशेष सैटेलाइट भेजने वाला दुनिया का दूसरा देश बन जाएगा. सैटेलाइट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है.
अंतरिक्ष यान से सफलतापूर्वक एक्सपो सैटेलाइट अलग हुई.
चौथा चरण भी यान से अलग किया गया.
तीसरे चरण को भी यान से अलग कर दिया गया है.
दो पेलोड सही रुप से अलग हो गए हैं.
यान सही ढंग से काम कर रहा है.
यान 250 किमी की ऊंचाई पूरी कर चुका है.
इसरो के चंद्रयान-3 और आदित्य एल 1 मिशन के बाद यह अब देश का इतिहास रचने के लिए तीसरा कदम उठाया गया है. यह एक उपग्रह है जिसे अक्सर कृत्रिम उपग्रह के नाम से जाना जाता है. एक मशीन है जो पृथ्वी के चारों ओर की कक्षा नें लगाई गई है. उनका उपयोग संचार, प्रसारण, जासूसी और मौसम विज्ञान सहित कई अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है.
इसके साथ ही इसरो के इस मिशन को उसकी आधिकारिक वेबासाइट और सोशल मीडिया चैनल पर लाइव देख सकते हैं XPoSat को PSLV-C58 अंतरिक्ष यान द्वारा ले जाने के लिए पूर्व की ओर कम झुकाव वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा. पीएसएलवी-सी58 राकेट एक्सपोसेट के साथ 10 अन्य उपग्रहों पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल को भी अंतरिक्ष में ले जाएगा.
मिशन के विजय के बारे में बात करते हुए इंडियन इंस्टट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, बॉम्बे के एस्ट्रोफिजिसिस्ट डॉ. वरुण भालेराव ने कहा है कि नासा के 2021 इमेजिंग एक्स-रे पोलोरिमीटर एक्सप्लोरर या IXPE नामक मिशन के बाद ये अपनी तरह का दूसरा मिशन है ये मिशन में तारों को समझाने की कोशिश करेगा.
एक्स-रे फोटोन और पोलराइजेशन की मदद से एक्सपोसैट ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारे के पास रेडिएशन की स्टडी करेगा. इसके अलावा डॉ. वरुण भालेराव ने कहा कि, ब्लैक होल ब्रह्मांण में मौजूद ऐसा ऑब्जेक्ट है. जिसका सबसे ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल होता है. जबकि न्यूट्रॉन सितारों का घनत्व सबसे अधिक होता है. भारत अपने इस मिशन के जरिए ब्रह्मांण के सबसे अनोखे रहस्यों को उजागर करने की कोशिश करेगा.