Sanjiv Khanna: न्यायमूर्ति संजीव खन्ना आज भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में आयोजित एक समारोह के दौरान 51वें मुख्य न्यायाधीश के रुप में शपथ लेंगे. यह कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया है. आज के इस कार्यक्रम के साथ भारत की न्यायपालिका के ले लिए फिर से एक नया चैप्टर खुल जाएगा. जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. जिसे बाद अब न्यायमूर्ति खन्ना को CJI का पद दिया गया है.
जस्टिस खन्ना को न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपने उत्तराधिकारी के रुप में अनुशंसित किया था. जिसके एक सप्ताह बाद केंद्र सरकार की ओर से न्यायमूर्ति खन्ना की नियुक्ति की घोषणा की गई. जस्टिस चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति खन्ना की क्षमता पर भरोसा जताते हुए कहा था कि वो कानून और प्रशासन दोनों में व्यापक अनुभव वाले असाधारण अनुभवी न्यायाधीश हैं.
भारत की न्यायपालिका में योगदान
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आश्वासन दिया था कि संस्था का भविष्य सुरक्षित हाथों में है. उन्होंने न्यायमूर्ति खन्ना की न्याय, ईमानदारी और कानून के शासन को बनाए रखने की प्रतिबद्धता पर अपना पूरा भरोसा जताया था. न्यायमूर्ति खन्ना पिछले चार दशकों से भारत की न्यायपालिका में अपना योगदान दे रहे हैं. उन्होंने 1983 में बार काउंसिल में अपना नामांकन किया था. जिसके बाद दिल्ली की तीस हजारी जिला अदालतों में अपना प्रैक्टिस शुरू किया.
उन्होंने आयकर विभाग के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के स्थायी वकील के रूप में भी काम किया है. दिल्ली उच्च न्यायालय में उन्हें पदोन्नत मिली और वे 2006 में स्थायी न्यायाधीश बनाए गएं. जिसके बाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य किए बिना जनवरी 2019 में सर्वोच्च न्यायालय में एंट्री मिली. इस दौरान उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए हैं.
विरसात में मिली न्यायिक अखंडता
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने चुनावी बॉन्ड योजना में हो रहे राजनीतिक फंडिग के मामले पर जोर दिया था. इससे पहले 370 को निरस्त करने, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की अखंडता समेत अन्य कई मुद्दों पर फैसला सुनाने में मदद किया था. खन्ना को विरसात में ही न्यायिक अखंडता मिली है. वह एक प्रतिष्ठित कानूनी परिवार से आते हैं. उनके पिता न्यायमूर्ति देव राज खन्ना, दिल्ली उच्च न्यायालय में सेवारत थे.
उनके चाचा न्यायमूर्ति एचआर खन्ना भारतीय न्यायिक इतिहास में सबसे अधिक सिद्धांतवादी व्यक्तियों में गिने जाते हैं. जिन्हें 1976 में भारत के आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में उनके साहसी असहमति के लिए याद किया जाता है. आने वाले समय में जस्टिस संजीव खन्ना सीजेआई के पद पर होंग. जिसके बाद पूरा भारत उनसे न्याय की उम्मीद कर रहा होगा.