One Nation One Election: देश में वन नेशन वन इलेक्शन का मुद्दा काफी दिनों से चर्चे में है. हालांकि जल्द ही सरकार इस मुद्दे पर एक कदम आगे बढ़ा सकती है. मिल रही जानकारी के मुताबिक 25 नवंबर से शुरु हो रहे शीतकालीन सत्र के दौरान ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल संसद में पेश किया जा सकता है. हालांकि इस मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन की राय का काफी महत्व है. संविधानिक संशोधन के लिए गैर-एनडीए दलों का समर्थन की आवश्यकता होगी.
लोकसभा चुनाव से पहले ही एनडीए सरकार द्वारा इस मुद्दे पर लगातार समर्थन किया जा रहा था. जिसके बाद इसपर रिपोर्ट तैयार कर ने के लिए रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. मिल रही जानकारी के मुताबिक कोविंद समिति की ओर से रिपोर्ट तैयार कर लिया गया है. जिसे ONOE विधेयक के साथ पेश किया जाएगा. विधेयक पेश किए जाने के बाद संसद में बहस होगा.
विपक्ष से समर्थन की उम्मीद
संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान अगर यह बिल पेश किया जाता है तो विपक्षी पार्टियों की समर्थन की जरूरत पड़ेगी. हालांकि विपक्षी गठबंधन की ओर से अक्सर इस विधेयक पर सवाल उठाया गया है. अब ऐसे में यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष दोनों इस मुद्दे पर कैसे एक साथ आएगी. हालांकि बिल पेश किए जाने से पहले केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजु ने इस मुद्दे पर अपने बयान से लोगों का ध्यान खिंचा है. संसदीय मामलों के मंत्री के आग्रह के आधार पर ही कोविंद पैनल का गठन किया गया था. उस रिपोर्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी दी जा चुकी है. अब ये बिल संसद में पेश होने के लिए तैयार है.
संसद में बहस जरुरी
किरेन रिजिजू ने इस बिल पर विपक्ष के समर्थन की उम्मीद करते हुए कहा कि लोकतंत्र में विपक्ष की गुंजाइश होती है, लेकिन विपक्ष को इसपर विरोध नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संसद में एक बार इस मुद्दे पर इसलिए भी चर्चा होनी चाहिए ताकी लोगों को एक साथ चुनाव कराए जाने के पिछे का मुख्य कारण पता चलें. जनता इस बात को समझ पाए कि इस बदलाव से क्या-क्या फायदा हो सकता है. हालांकि कोविंद समिति की ओर से कहा गया है कि इस संशोधन के लिए राज्यों के अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी.