राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड,‘प्रधानमंत्री के जरिए अयोध्या में मंदिर का उद्घाटन...

AIMPLB On Ram Mandir Pran Pratishtha: इस दौरान उन्होंने ये भी दावा किया कि इसके कोई प्रमाण नहीं है कि रामचन्द्र जी का जन्म उस विशेष स्थान पर हुआ था. मौलाना ने प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर दीप जलाने को लेकर भी अल्पसंख्यक समुदाय को भी खास नसीहत दी है.

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हाइलाइट्स

  • राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
  • प्रधानमंत्री के जरिए अयोध्या में मंदिर का उद्घाटन न्याय और धर्मनिरपेक्षता की हत्या है

AIMPLB On Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में बने श्री राम के भव्य मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम 22 जनवरी को होने जा रह है. इस दौरान समारोह में शामिल होने के लिए देश-विदेश से कई राम भक्त पहुंच रहे हैं. इस कार्यक्रम के लिए राजनीतिक दलों के नेताओं समेत कई दिग्गजों को निमंत्रण पत्र भेजा गया है. इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्ला राहमनी ने प्रधानमंत्री के राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में शामिल होने को लेकर बड़ा सवाल खड़ा किया है. उन्होंने कहा है कि यह इंसाफ और सेकुलरिज्म का कत्ल है. 

इस दौरान उन्होंने ये भी दावा किया कि इसके कोई प्रमाण नहीं है कि रामचन्द्र जी का जन्म उस विशेष स्थान पर हुआ था. मौलाना ने प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर दीप जलाने को लेकर भी अल्पसंख्यक समुदाय को भी खास नसीहत दी है. 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खड़े किए सवाल 

बीते दिन शनिवार को अपने एक बयान में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाए. उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लेटर हेड पर जारी बयान में कहा कि अयोध्या में जो भी हो रहा है वह सरासर कुरुरता पर आधारित है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह माना है कि उसके नीचे कोई मंदिर नहीं था, जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया गया हो और इस बात को कोई प्रमाण नहीं है कि श्री रामचंद्रजी का जन्म उस विशेष स्थान पर हुआ था. कोर्ट ने कानून से अलग बहुसंख्यक संप्रदाय क एक वर्ग की ऐसी आस्था पर यह फैसला दिया है जिसका कोई उल्लेख हिन्दू भाइयों के पवित्र ग्रंथों में नहीं है. यह निश्चित रूप से  देश के लोकतंत्र पर एक बड़ा हमला है. इस फैसले ने मुस्लिमों के दिल को ठेस पहुंचाने का काम किया है. 

प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा राम मंदिर के उद्घाटन पर खड़े किए सवाल 

इस दौरान मौलाना रहमानी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक मस्जिद की जगह पर राम मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है जहां सैकड़ों वर्षों से नमाज पढ़ी जाती रही है. उसमें सरकार और उनके मंत्रियों की विशेष रुचि है और प्रधानमंत्री मोदी  द्वारा इसका उद्घाटन न्याय और धर्मनिरपेक्षता की हत्या है. राजनीतिक उद्देश्यों के लिए देशभर में इसका प्रचार अल्पसंख्यकों के जख्मों पर नाम छिड़कने जैसा है. इसलिए ऑल मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सरकार के इस गैर- धर्म निरपेक्ष और अलोकतांत्रिक रवैये की कड़ी निंदा करता है.

दीप जलाना को लेकर भी उठाए सवाल 

इस दौरान मौलाना रहमानी ने  22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन देश भर में दीप जलाने को लेकर किए गए आग्रह पर  कहा कि अगर हिन्दू भाई मंदिर निर्माण की खुशी में दीप जलाते हैं या नारा लगाते हैं तो हमें इस बात से किसी भी तरह की कोई आपत्ति नहीं है, मगर मुस्लिमों के लिए इस तरह के समारोह में शामिल होना गैर-इस्लामी अमल है.