Sanatana Dharma Row: उदयनिधि ने दी ‘सनातन’ वाले बयान पर दी सफाई, तो अब DMK के ए राजा ने कर दी ऐसी बात

Sanatana Dharma Row: लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं ऐसे में सभी राजनैतिक दल धर्म के नाम पर अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लगे हैं. सनातन धर्म का अपमान करने वालों की फेरिश्त में अब DMK के ए राजा का नाम भी जुड़ गया है. डीएमके सांसद ए राजा ने उदयनिधि से भी आगे बढ़कर […]

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Sanatana Dharma Row: लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं ऐसे में सभी राजनैतिक दल धर्म के नाम पर अपनी सियासी रोटियां सेंकने में लगे हैं. सनातन धर्म का अपमान करने वालों की फेरिश्त में अब DMK के ए राजा का नाम भी जुड़ गया है. डीएमके सांसद ए राजा ने उदयनिधि से भी आगे बढ़कर अब सनातन धर्म की तुलना HIV से कर दी है. जिसके बाद ये विवाद और बढ़ गया है.

ए राजा ने सनातन धर्म के मसले पर सीधा गृहमंत्री अमित शाह से बहस करने की चुनौती दी है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि, एम को भी सनातन धर्म का पालन करना चाहिए और विदेशी दौरों पर नहीं जाना चाहिए. ए राजा ने कहा कि, उदायनिधि का रुख नरम था उन्होंने सिर्फ मलेरिया और डेंगु कहा है बल्कि इसकी तुलना सामाजिक धर्म की तुलना कलंक वाली बीमारियों से भी किया जाना चाहिए. वहीं ए राजा के इस बयान पर भाजपा नेता मालवीय ने ट्विट कर पलटवार किया है.

ए राजा के बयान पर भाजपा नेता का पलटवार-

ए राजा के सनातन धर्म के बयान पर बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट करके कहा, ‘अब डीएमके सांसद ए राजा हिंदू धर्म को सामाजिक बुराई बता रहे हैं, ये उस धर्म के बारे में बोल रहे हैं जिस धर्म को इस देश की 80 प्रतिशत आबादी मानती है. यह कुछ और नहीं बल्कि एक धर्म के खिलाफ विशुद्ध हेट स्पीच है. उन्होंने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि, कांग्रेस के I.N.D.I.A गठबंधन का यही असली चरित्र है. उनका मानना है कि हिंदू धर्म और उसको मानने वालों का अपमान करके वह चुनाव जीत सकते हैं.

उदयनिधि स्टालिन ने अपने बयान पर दी सफाई-

वहीं सनातन धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी देने पर मचे बवाल के बाद अब तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने बयान पर सफाई दी है. उन्होंने कहा, ‘मेरे बयान का गलत मतलब निकाला गया है और हम किसी भी धर्म के दुश्मन नहीं हैं.’ उधर तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने अपने बेटे उदयनिधि स्टालिन का बचाव किया है. उन्होंने कहा, उसने अनुसूचित जातियों, जनजातियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करने वाले सनातन सिद्धांतों पर अपने विचार व्यक्त किए थे, उसका किसी भी धर्म या धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था.