Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर सख्त जिप्पणी की है. कोर्ट द्वारा किसी भी अधिकारी द्वारा किसी आरोपी के घर के तोड़ने पर विरोध जताया गया है. कोर्ट की तरफ से कहा गया कि ऐसा करना कानून के खिलाफ है. अगर कोई भी ऐसा करता है तो वो उसके लिए जिम्मेदार होगा. कोर्ट ने इस मामले पर सरकार की क्लास लगाई है.
उत्तर प्रदेश से बुलडोजर एक्शन की शुरुआत की गई. जिसमें सरकार के अधिकारियों द्वारा किसी घटना के आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाया जाने लगा. ऐसे करने से ना केवल आरोपी बल्कि उसका पूरा परिवार परेशान होने लगा. चारो ओर चीख-पुकार मचने लगी. धीरे-धीरे ये एक्शन अन्य राज्यों में भी लिया जाने लगा. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने आज सख्त टिप्पणी की है.
मालिक को नोटिस भेजना जरुरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी घर को तोड़ने से पहले नोटिस मालिक को पंजीकृत डाक से भेजा जाएगा. इतना ही नहीं घर के बाहरी हिस्से पर भी नोटिस चिपकाने का आदेश दिया गया है. साथ ही अदालत की ओर से कहा गया कि नोटिस में अनधिकृत निर्माण की प्रकृति, विशिष्ट उल्लंघन का विवरण और तोड़फोड़ के आधार शामिल होने चाहिए. तोड़फोड़ की वीडियोग्राफी की जानी चाहिए. अदालत की ओर से सख्त टिप्पणी देते हुए कहा गया कि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन अवमानना को आमंत्रित करेगा.
Supreme Court holds that the state and its officials can't take arbitrary and excessive measures.
— ANI (@ANI) November 13, 2024
Supreme Court says the executive can't declare a person guilty and can't become a judge and decide to demolish the property of an accused person. https://t.co/ObSECsK3cv
कानून के शासन का उल्लंघन
न्यायमूर्ति बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया ऐसी कार्रवाई को माफ नहीं कर सकती. कानून का शासन मनमानी कार्रवाई के खिलाफ है. उल्लंघन अराजकता को बढ़ावा दे सकता है और संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा के लिए नागरिक अधिकारों की सुरक्षा आवश्यक है. पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका के मूल कार्यों को करने में न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती. कोर्ट ने कहा कि यदि कार्यपालिका न्यायाधीश की भूमिका में आकर कानून की प्रक्रिया का पालन किए बिना किसी घर को गिराने का आदेश देती है, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन है. राज्य कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता.
दूसरा उपाय निकालने की सलाह
सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि अधिकारियों को यह दिखाने में सक्षम होना चाहिए कि ध्वस्तीकरण ही एकमात्र उपाय है, यहां तक कि उन मामलों में भी जहां कुछ अतिक्रमण हैं. निर्देश देते हुए पीठ ने कहा कि सभी नोटिस नगर निकाय के निर्दिष्ट पोर्टल पर डाले जाने चाहिए. जबकि नोटिस पंजीकृत डाक के माध्यम से भी भेजे जाने चाहिए. साथ ही अनुपालन की निगरानी के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को जवाबदेह बनाया गया है.