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कौन थे नेता जिनकी वजह से इंदिरा गांधी को लगानी पड़ी थी इमरजेंसी?

Emergency: भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम आते ही एक मजबूत महिला की छवि बन जाती है. इसीलिए इंदिरा गांधी को आयरन लेडी भी कहा जाता है. लेकिन इस आयरन लेडी को सन् 1972 के चुनाव में एक आम नेता के सामने झुकना पड़ा इस नेता का नाम है राजनारायण सिंह. इंदिरा गांधी सरकार की 21 महीने की इमरजेंसी आज भी चर्चा में रहती है. सियासी गलियारों में विपक्ष इमरजेंसी को काला धब्बा बताने के साथ-साथ कांग्रेस पर हमलावर हो जाता है.

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Emergency: जब भी हम आजाद भारत के इतिहास के पन्ने को पलटते हैं तो उसमें एक अध्याय ऐसा भी है. जो अपने गहरे निशान छोड़कर गया है. इमरजेंसी, जिन लोगों ने इमरजेंसी के दौर को अपनी आंखों से देखा है वो आज भी शिहर उठते है. तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने अचानक 25 जून की रात इमरजेंसी का ऐलान कर दिया. लोगों को हिरासत में लेने शुरू कर दिया, आम आदमी के अधिकारों को वापस ले लिया गया. साथ ही कई अखबार के दफ्तरों की लाइट भी काट दी गई. किसी तरह सुबह हुई और 26 जून की सुबह 8 बजे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इमरजेंसी का आधिकारिक तौर पर ऐलान करती हैं. जिसके बाद देशभर में क्रूर शासन का आगाज हो जाता है.

 21 महीने काफी विवादास्पद 

25 जून, साल 1975 ये वही तारीख है, जिस दिन देश में आपातकाल (Emergency) की घोषणा की गई. इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार की सिफारिश पर उस समय के तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल लगाए जाने पर अपनी मुहर लगा थी. भारत में इमरजेंसी 21 मार्च, 1977 तक देशभर में लागू रही. स्वतंत्र भारत के इतिहास में 21 महीने काफी विवादित रहा. 21 महीनों में जो कुछ हुआ सत्ता दल आज तक कांग्रेस को समय-समय पर कोसते रहते हैं. आज भी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम लोगों के मन में आते है तो एक मजबूत इरादों वाली महिला की छवि बन जाती है. इसीलिए इंदिरा गांधी को आयरन लेडी के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन इस आयरन लेडी को साल 1972 के चुनाव में एक आम नेता के सामने झुकना पड़ गया. उस नेता का नाम है राजनारायण सिंह.

चुनाव लड़ने पर पाबंदी 

राजनारायण सिंह ने साल 1971 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से इंदिरा गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में इंदिरा गांधी को जीत मिल गई थी लेकिन नतीजे आने के 4 बरस बाद राजनारायण सिंह. ने अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए यह आरोप लगाया कि इंदिरा गांधी ने चुनाव में धांधली की है. इंदिरा गांधी ने सरकारी मशीनरी का गलत तरह से इस्तेमाल करने जैसे तमाम आरोप लगाए थे. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के ज़रिए दाखिल किए मुकदमें ने इंदिरा गांधी के लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी, हैरानी की बात तब होती है कि कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाता है और चुनाव रद्द कर देता है. साथ ही इंदिरा गांधी को 6 वर्षों के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी गई है. 

इमरजेंसी लगाने का ऐलान 

कोर्ट के फैसले के बाद से राजनरायण सिंह के 'संपूर्ण क्रांति' आंदोलन ने पूरे देश की तस्वीर ही बदल दी. जिसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से इस्तीफा मांगा जाने लगा. वही इंदिरा गांधी कुछ और ही सोच रही थी. हालात को अपने खिलाफ होता देख इंदिरा गांधी ने 25 जून की रात अचानक इमरजेंसी लगा दी. 26 जून 1975 की सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर एक संदेश में इमरजेंसी लगाने का ऐलान किया. इंदिरा गांधी के इस ऐलान से कुछ घंटे पहले 25 और 26 जून की रात को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने इमरजेंसी के आदेश पर दस्तखत किये थे. इस बीच विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया और आम लोगों पर खूब जुल्म हुआ.

प्रधानमंत्री पद की शपथ

इसके बाद भी इंदिरा गांधी के खिलाफ विरोध कम नहीं हुआ और 18 जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी ने अचानक लोकसभा चुनाव का ऐलान कर देती है. इंदिरा गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव मार्च में होंगे. मार्च में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सबको हैरान कर दिया था, क्योंकि इंदिरा और उनके बेटे संजय गांधी दोनों को हार का सामना करना पड़ा था. इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 153 सीटों पर सिमट गई और देश में जनता पार्टी की सरकार बन गई. 24 मार्च को मोरारजी देसाई ने देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली.

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