पंजाब, जो लंबे समय से नशे की चपेट में रहा, अब एक नई राह पर चल पड़ा है. मान सरकार ने नशे के खिलाफ एक ऐसी जंग शुरू की है, जो न केवल थानों में लड़ी जा रही है, बल्कि स्कूलों की कक्षाओं में भी. इस अनूठी पहल के तहत, राज्य के 3,658 सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए नशा-विरोधी पाठ्यक्रम शुरू किया गया है. यह कदम न सिर्फ पंजाब के भविष्य को सुरक्षित करने का प्रयास है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है.
एक क्रांतिकारी पाठ्यक्रम
मान सरकार का यह पाठ्यक्रम केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है. यह नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अभिजीत बनर्जी और शिक्षा विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया गया है. इसमें 27 हफ्तों तक हर 15वें दिन 35 मिनट की विशेष कक्षा होगी. इन कक्षाओं में छात्रों को नशे से बचने, दोस्तों के दबाव को नकारने और सही फैसले लेने के कौशल सिखाए जाएंगे. इस पाठ्यक्रम का लक्ष्य है कि बच्चे नशे को 'कूल' समझने की बजाय इसे एक खतरनाक रास्ता मानें.
आकर्षक और प्रभावशाली शिक्षा
यह पाठ्यक्रम बच्चों को रुचिकर और इंटरैक्टिव तरीके से पढ़ाया जाएगा. फिल्में, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर और वर्कशीट के जरिए उनकी सोच को मजबूत किया जाएगा. अमृतसर और तरनतारन में 78 स्कूलों में किए गए पायलट प्रोजेक्ट के नतीजे प्रभावशाली रहे. 9,600 छात्रों में से 90% ने माना कि एक बार नशा करने से लत लग सकती है, जबकि पहले 50% छात्र सोचते थे कि इच्छाशक्ति से नशा छोड़ा जा सकता है. अब यह आंकड़ा घटकर 20% हो गया है. यह साबित करता है कि सही शिक्षा से सोच बदली जा सकती है.
बदलाव के लिए शिक्षकों को ट्रेनिंग
इस पहल की सफलता के लिए 6,500 से अधिक शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है. यह प्रशिक्षण सुनिश्चित करता है कि शिक्षक बच्चों को नशे के खतरों के बारे में प्रभावी ढंग से समझा सकें. यह पहल केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत है. मान सरकार की यह नीति नशे की आपूर्ति पर सख्ती और मांग को कम करने की दोहरी रणनीति पर आधारित है, जो इसे और भी प्रभावी बनाती है.
राष्ट्र के लिए एक आदर्श
पंजाब की यह पहल अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा बन सकती है. 'युद्ध नशियां दे विरुद्ध' अभियान के तहत, पंजाब पुलिस ने अगस्त 2025 तक 28,025 से अधिक नशा तस्करों को गिरफ्तार किया है. यह कदम सिर्फ एक नीति नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है. मान सरकार का यह प्रयास पंजाब को 'उड़ता पंजाब' से 'रंगला पंजाब' बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह कोई सियासी नारा नहीं, बल्कि एक पवित्र मिशन है, जो पंजाब के गौरव को फिर से स्थापित करेगा.