पाकिस्तान के साथ क्रिकेट संभव लेकिन करतारपुर साहिब मत्था टेकने पर रोक? केंद्र सरकार पर CM मान ने साधा निशाना

सीएम मान ने कहा कि केंद्र सरकार का रवैया समझ से परे है. एक तरफ पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्मों को राष्ट्रविरोधी बताकर रोका जाता है, वहीं क्रिकेट मैच को राष्ट्रभक्ति का उत्सव करार दिया जाता है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, फिर क्रिकेट का मैदान क्यों खुला?

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Courtesy: Social Media

Bhagwant Mann: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र के इस फैसले पर कड़ा सवाल उठाया है. उन्होंने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि पंजाबियों की आस्था और गुरुओं से जुड़ी श्रद्धा को केंद्र सरकार सियासी चश्मे से देख रही है. भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच को मंजूरी मिलती है, लेकिन श्री करतारपुर साहिब और श्री ननकाना साहिब के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की राह में रोड़े अटकाए जा रहे हैं. यह दोहरा रवैया पंजाबियों को चुभ रहा है. क्रिकेट का लाइव प्रसारण हो सकता है, लेकिन गुरु की धरती पर मत्था टेकने का रास्ता बंद? यह सिर्फ सिखों का नहीं, पूरे पंजाब की अस्मिता का सवाल है.

सीएम मान ने कहा कि केंद्र सरकार का रवैया समझ से परे है. एक तरफ पाकिस्तानी कलाकारों वाली फिल्मों को राष्ट्रविरोधी बताकर रोका जाता है, वहीं क्रिकेट मैच को राष्ट्रभक्ति का उत्सव करार दिया जाता है. प्रधानमंत्री कहते हैं कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, फिर क्रिकेट का मैदान क्यों खुला? और श्रद्धालुओं के लिए गुरु के दरवाजे क्यों बंद? श्री करतारपुर साहिब और श्री ननकाना साहिब कोई सियासी केंद्र नहीं, बल्कि पंजाबियों की आस्था के तीर्थ हैं. हर अरदास में यही मांग होती है कि वहां सेवा और दर्शन का मौका मिले, मगर सरकार ने यह रास्ता बंद कर दिया.

क्रिकेट संभव तो दर्शन क्यों नहीं?

केंद्र सरकार के एक्शन पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पूछा कि अगर क्रिकेट हो सकता है, तो दर्शन क्यों नहीं? यह सिर्फ नीति का सवाल नहीं, बल्कि भावनाओं का मामला है. जब पंजाब बाढ़ की चपेट में था, तब केंद्र ने सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस की. वहीं, मान सरकार ने मैदान में उतरकर राहत कार्य किए. 2300 गांवों में सफाई और मेडिकल टीमें भेजी गईं. बाढ़ के बाद हर गली में सरकार की मौजूदगी ने साबित किया कि पंजाब की जनता के साथ कौन खड़ा है. केंद्र ने पंजाब के लिए ₹1600 करोड़ की राहत की घोषणा की, लेकिन एक रुपया भी नहीं मिला. अफगानिस्तान जैसे देशों को संकट में तुरंत मदद भेजी जाती है, मगर पंजाब को सिर्फ आश्वासन मिलते हैं. मुख्यमंत्री मान ने साफ कहा कि यह दुश्मनी किस बात की? क्या इसलिए कि पंजाब सरकार केंद्र के इशारे पर नहीं चलती?

केंद्र सरकार का रवैया पंजाब के लिए अपमानजनक

पंजाब की धरती ने भगत सिंह और करतार सिंह सराभा जैसे शहीद दिए हैं. यह ज़मीन कभी नहीं झुकती. केंद्र का यह रवैया पंजाब के लिए अपमानजनक है. ऐसा लगता है कि अगर पंजाब सरकार केंद्र की बात न माने, तो उसे सजा दी जाती है. विकास योजनाओं में अड़चनें डाली जाती हैं, राहत रोकी जाती है, और अब श्रद्धा के रास्ते भी बंद किए जा रहे हैं. पंजाब सरकार ने साफ कर दिया है कि वह सिर्फ भाषण नहीं देती, बल्कि ज़मीन पर काम करती है. श्री करतारपुर साहिब और श्री ननकाना साहिब पंजाबियों के दिल का हिस्सा हैं. क्रिकेट और सियासत इंतज़ार कर सकती है, मगर भक्ति नहीं. पंजाब आज एक स्वर में कह रहा है कि यह सरकार नहीं, हमारी तरह है. काम करती है, और ज़मीन पर खड़ी है.

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