Punjab: केंद्र सरकार की तरफ से बासमती चावल का न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन करने से किसानों की उम्मीद और मेहनत बेकार हो गया है. बता दें कि किसानों ने इस साल पंजाब में 20% बासमती का रकबा अधिक उम्मीदों से बढ़ाया था. जिसके बाद भी बासमती का खरीद दाम उचित हासिल नहीं हो रहा है.
वहीं बासमती निर्यातकों में हानि देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं विदेशों में खरीदने वाले नहीं मिल रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान ने बासमती पर एमईपी नहीं दी है. वहीं विदेशों में पाकिस्तान की बासमती ने कब्जा करने की शुरूआत कर दी है. जबकि निर्यातक इससे अधिक दिक्कत में हैं. इसके साथ कम दाम होने के कारण भारत अपने अधिक ग्राहक खो सकता है.
पंजाब में अधिक बासमती चावल का उत्पादन होता है, वहीं बासमती के एक्सपोर्ट एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी ने बताया कि, हमने पिछले दो दिनों से बासमती की खरीद पर रोक लगा दी है. जबकि पंजाब के 3700 किसान जुड़े हैं, जिन लोगों को हमने ट्रेनिंग दिया बासमती उगाने का उनकी बासमती खरीदने वाला मिल नहीं रहा है.
पंजाब के किसान 140 से ज्यादा देशों में बासमती चावल भेजकर निर्यात में करीब 35% का योगदान हैं. वहीं पूसा बासमती 1509 की फसल 4500 रुपये प्रति क्विंटल पर बिक रही थी. परन्तु निर्यातकों को विदेशों से ऑर्डर न मिलने की वजह से बासमती अब मार्केट में 3300 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है. जिससे किसान परेशान हैं, क्योंकि राज्य में इस वर्ष 20 % बासमती का पैदावार हुआ है.
बता दें कि 2022 से 2023 के लिए भारत में बासमती चावल का कुल उत्पादन 6 मिलियन टन बताया जा रहा है. वहीं 1200 अमेरिकी डॉलर एमईपी लगाने का फैसला निर्यात की औसत कीमत से करीबन 150 अमेरिकी डॉलर ज्यादा है. जबकि बीते 25 सितंबर को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल संग ऑनलाइन मीटिंग के उपरांत अभी तक निर्यातक इसे 850-900 डॉलर प्रति टन की उम्मीद थी. परन्तु टर्की के इस्तांबुल में लगे इंटरनेशनल फूड फेयर से बासमती के आर्डर नहीं मिले, जिसके बाद इस मुद्दे पर एक्सपोर्ट ने काम करना शुरू किया है.