Ganadhipa Sankashti chaturthi: हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष रूप से महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन महिलाएं भगवान गणेश की पूजा करके अपने घर-परिवार के लिए सुख-समृद्धि और मानसिक शांति की कामना करती हैं. इस बार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 नवम्बर यानी सोमवार को पड़ रही है, जो भगवान शिव को समर्पित दिन भी है. इस दिन गणेश और शिव की पूजा विधिपूर्वक करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश और भोलेनाथ की पूजा करने का अत्यधिक पुण्यकारी अवसर है. इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है और किसी भी प्रकार की मानसिक या भौतिक परेशानी से मुक्ति मिलती है. इस दिन व्रत करने से जीवन में आने वाली कठिनाइयां दूर होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है.
पौराणिक कथा और व्रत का प्रभाव
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान राम के पिता राजा दशरथ को शाप मिला था कि वह पुत्र-वियोग में मरेगा. इस शाप के निवारण के लिए उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ किया. जिसके बाद भगवान राम का जन्म हुआ. राम के साथ सीता और लक्ष्मण का वनवास शुरू हुआ. इस दौरान रावण ने सीता का अपहरण कर लिया, जिसके बाद भगवान राम ने सीता की खोज शुरू की. एक दिन, वानरों के साथ हनुमान जी ने संपाती से मुलाकात की, जो उन्हें सीता के स्थान के बारे में जानकारी देता है.
संपाती ने हनुमान जी को बताया कि सीता जी अशोक वाटिका में हैं और समुद्र पार करके हनुमान जी ही उन्हें बचा सकते हैं. संपाती ने हनुमान जी से संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी. इस व्रत के प्रभाव से हनुमान जी ने समुद्र को आसानी से पार किया और सीता माता को बचाया. इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी व्रत ने उन्हें सफलता दिलाई.
तिथि और समय
पंचांग के अनुसार इस व्रत की तिथि 18 नवम्बर, सोमवार को शाम 6:55 बजे से प्रारंभ होकर 19 नवम्बर मंगलवार को शाम 5:28 बजे तक रहेगी. आज के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने का विशेष महत्व माना जाता है. चंद्रोदय 18 नवम्बर को शाम 7:34 बजे होगा और इसी समय चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए.