मराठी ना बोलने पर ऑटो चालक को मारा थप्पड़, मनसे कार्यकर्ता की गुंडागर्दी का वीडियो वायरल

वायरल वीडियो में ऑटो चालक उत्तर प्रदेश के प्रवासी भावेश पडोलिया से बहस करता दिख रहा है. पडोलिया ने चालक से पूछा कि वह सार्वजनिक रूप से मराठी क्यों नहीं बोलता. चालक ने जवाब दिया कि वह हिंदी और भोजपुरी में बात करना पसंद करता है.

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Courtesy: Social Media

Marathi Language Row: महाराष्ट्र के पालघर में भाषा को लेकर विवाद ने तूल पकड़ लिया. विरार स्टेशन पर एक प्रवासी ऑटो-रिक्शा चालक की कथित तौर पर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे समर्थकों ने पिटाई कर दी. चालक ने मराठी बोलने से इनकार किया था. इस घटना का वीडियो तेजी से शेयर किया जा रहा है. 

वायरल वीडियो में ऑटो चालक उत्तर प्रदेश के प्रवासी भावेश पडोलिया से बहस करता दिख रहा है. पडोलिया ने चालक से पूछा कि वह सार्वजनिक रूप से मराठी क्यों नहीं बोलता. चालक ने जवाब दिया कि वह हिंदी और भोजपुरी में बात करना पसंद करता है. इस पर दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक हुई.

शिवसेना-मनसे समर्थकों का विरोध

विवाद बढ़ने पर शिवसेना (यूबीटी) और मनसे के समर्थकों ने चालक का विरोध किया. वीडियो में दिख रहा है कि भीड़ ने चालक को थप्पड़ मारे. उसे माफी मांगने और मराठी में नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया. शिवसेना (यूबीटी) के विरार शहर प्रमुख उदय जाधव ने कहा कि हमने सच्ची शिवसेना शैली में जवाब दिया. महाराष्ट्र में भाषा को लेकर लगातार विवाद बढ़ता जा रहा है, इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. 1 जुलाई को मनसे कार्यकर्ताओं ने एक स्ट्रीट फूड विक्रेता को मराठी न बोलने पर पीटा था. सात कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था. मुंबई के मीरा रोड में भी 48 वर्षीय दुकानदार बाबूलाल चौधरी और उनके कर्मचारी बाघाराम को मनसे कार्यकर्ताओं ने थप्पड़ मारा. कारण था हिंदी में बात करना.

भाषा की राजनीति ने पकड़ी रफ्तार 

मीरा रोड में जोधपुर स्वीट शॉप के मालिक बाबूलाल चौधरी और उनके राजस्थानी कर्मचारी बाघाराम पर मनसे कार्यकर्ताओं ने हमला किया. कार्यकर्ताओं ने मांग की कि दोनों मराठी बोलें. चौधरी ने कहा कि राज्य में कई सारी भाषाएं बोली जाती हैं. इसके बावजूद मारपीट हुई और घटना का वीडियो रिकॉर्ड किया गया. पालघर की ताजा घटना ने राज्य में भाषा की राजनीति को और गरमा दिया है. राजनीतिक दलों द्वारा इस मुद्दे पर लगातार बहस जारी है.

शिवसेना और मनसे मराठी अस्मिता को लेकर मुखर हैं. वहीं, प्रवासी समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहा है. वायरल वीडियो ने लोगों में गुस्सा पैदा किया है. कुछ लोगों का कहना है कि भाषा के नाम पर हिंसा गलत है. दूसरों का मानना है कि स्थानीय संस्कृति का सम्मान जरूरी है. पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.

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