SYL Canal Dispute: केंद्र सरकार ने सतलज यमुना लिंक के पानी बंटवारे को लेकर पंजाब-हरियाणा के बीच की मध्यस्थता, जानें क्या है मामला?

SYL Canal Dispute: पंजाब और हरियाणा के बीच काफी लंबे समय से सतलज-यमुना लिंक को लेकर विवाद चल रहा है. इसी को लेकर पिछले एक साल में दोनों राज्यों की ये तीसरी बैठक थी.

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हाइलाइट्स

  • पंजाब ने कहा, हमारे पास देने को पानी है ही नहीं
  • एक साल में दोनों राज्यों की तीसरी बैठक

SYL Canal Dispute: सतलज-यमुना नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे विवाद में 28 दिसम्बर को केंद्र सरकार की मध्यस्थता में एक अहम बैठक हुई. चंडीगढ़ में हुए इस बैठक में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे. बैठक में एक ओर जहां हरियाणा ने सतलज-यमुना लिंक से पानी की मांग की तो वहीं पंजाब ने अपना वही पुराना रुख अपनाते हुए कहा कि उसके पास देने के लिए ज्यादा पानी है ही नहीं. 

काफी लंबे समय से चल रहे इस विवाद में पिछले एक साल में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच ये तीसरी बैठक थी. इसके साथ ही इस बैठक में दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया जबकि मौजूदा वर्ष के दौरान केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दूसरी बार दोनों मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी वाली इस बैठक की अध्यक्षता की.

क्या है हरियाणा सरकार की मांग?

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस बैठक से पहले उम्मीद जताई थी कि पंजाब सरकार उन्हें सतलज-यमुना नहर का ज्यादा पानी दे देगी. वहीं इस बैठक से कुछ समय पहले मनोहर लाल खट्टर ने  पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को एक पत्र लिखकर सतलज-यमुना नहर के निर्माण से संबंधित किसी भी बाधा या मुद्दे को हल करने के लिए एक बैठक आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की थी. बैठक में हरियाणा सरकार की ओर से मुख्यमंत्री खट्टर ने फिर से नहर के पानी की मांग दोहराई. 

क्या बोले भगवंत मान?

बैठक से पहले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मामले पर कहा कि ''उच्चतम न्यायालय में मामले पर सुनवाई चल रही है और अदालत ने दोनों राज्यों को बैठक करने का निर्देश दिया था.'' हालांकि बैठक में पंजाब सरकार अपनी पुरानी बात पर ही अडिग रही. बैठक में भगवंत मान ने कहा कि ''पंजाब की ओर से मैंने अपना पक्ष रखा. मैंने वहीं रुख बरकरार रखा है, जो पहले इस मुद्दे पर था. हमारे पास पानी ही नहीं है को हम नहर कैसे बना सकते हैं? ''

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी नाराजगी 

बीते 4 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सतलज-यमुना लिंक को लेकर पंजाब सरकार पर नाराजगी जताई थी. नहर पर निर्माण मामले में पंजाब द्वारा अपने हिस्से का निर्माण न कराए जाने को लेकर पंजाब सरकार को फटकार लगते हुए कोर्ट ने कहा था कि "आप इसका समाधान निकालें अन्यथा कोर्ट को कुछ करना होगा." इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ही केंद्र सरकार को दोनों राज्यों के बीच मध्यस्थता कराने का आदेश दिया था.

क्या है पूरा विवाद?

पंजाब से अलग होकर हरियाणा के गठन से 10 साल पहले यानि कि 1955 में रावी और ब्यास के पानी का आंकलन 15.85 मिलियन एकड़ फीट (MAF) किया गया गया. फिर सरकार ने इसी साल राजस्थान, पंजाब और जम्मू कश्मीर के बीच एक मीटिंग बुलाई थी. इस बैठक में राजस्थान को आठ, पंजाब को 7.20 व जम्मू कश्मीर को 0.65 मिलियन एकड़ फीट पानी आवंटित किया गया था.

इसके 1966 में पंजाब का विभाजन हो गया और पंजाब और हरियाणा दो अलग-अलग राज्य बन गए. पंजाब के हिस्से में जो 7.2 MAF पानी था, उसमें से हरियाणा को  3.5 MAF हिस्सा देते हुए पानी को हरियाणा के साथ बांटा गया.  लेकिन बाद में पंजाब ने राइपेरियन सिद्धांतों का हवाला देते हुए दोनों नदियों का पानी हरियाणा को देने से इनकार कर दिया. राइपेरियन सिद्धांत के अनुसार, जल निकाय से सटे भूमि के मालिक को पानी का उपयोग करने का अधिकार है.