बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की है. हाल की घटनाओं, खासकर दीपू चंद्र दास की बर्बर हत्या ने भारतीय मनोरंजन जगत को भी हिला दिया है. वरिष्ठ अभिनेता मनोज जोशी ने बॉलीवुड की चुप्पी पर सवाल उठाया, जबकि जान्हवी कपूर, जया प्रदा और काजल अग्रवाल जैसी हस्तियों ने इस क्रूरता की कड़ी निंदा की.
यह मुद्दा न केवल अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि वैश्विक मानवाधिकारों की असमानता को भी उजागर करता है. भारत सरकार ने भी बांग्लादेश के साथ राजनयिक स्तर पर कदम उठाए हैं.
वरिष्ठ अभिनेता मनोज जोशी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर बॉलीवुड की खामोशी को चुनौती दी. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि जब गाजा या फिलिस्तीन में कोई घटना होती है, तो पूरी इंडस्ट्री आवाज उठाती है, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्याओं पर सन्नाटा क्यों?
जोशी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि समय आने पर सच्चाई सामने आएगी. उनकी यह टिप्पणी मनोरंजन जगत में व्याप्त दोहरे मापदंडों को रेखांकित करती है, जहां वैश्विक मुद्दों पर तो प्रतिक्रिया होती है, लेकिन पड़ोसी देश में अपने समुदाय की पीड़ा पर चुप्पी साध ली जाती है.
क्रिसमस से ठीक पहले, अभिनेत्री जान्हवी कपूर ने इंस्टाग्राम पर एक लंबा संदेश साझा किया, जिसमें उन्होंने दीपू चंद्र दास की मौत को बर्बर और नरसंहार जैसा बताया. उन्होंने लिखा कि यह कोई अलग-थलग घटना नहीं है, बल्कि एक बड़ी समस्या का हिस्सा है. जान्हवी ने लोगों से अपील की कि वे इस लिंचिंग के बारे में पढ़ें, वीडियो देखें और सवाल उठाएं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसी घटनाओं पर गुस्सा नहीं आता, तो पाखंड हमें नष्ट कर देगा.
पूर्व सांसद और अभिनेत्री जया प्रदा ने भी बांग्लादेश की हिंसा पर गहरा दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि उनका दिल खून के आंसू रो रहा है, सोचकर कि एक निर्दोष हिंदू व्यक्ति पर इतनी क्रूरता कैसे हो सकती है. जया प्रदा ने दीपू चंद्र दास को भीड़ द्वारा पीटकर मारने और फिर पेड़ से बांधकर आग लगाने की घटना को मॉब लिंचिंग बताया. उन्होंने सवाल किया कि क्या यही नया बांग्लादेश है? जया प्रदा ने इस मामले में तत्काल न्याय की मांग की और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जताई.