India US Trade: भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से प्रतीक्षित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर चर्चा जोरों पर है. अमेरिकी विदेश विभाग की उप प्रवक्ता मिग्नॉन ह्यूस्टन ने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक 'आवश्यक भागीदार' बताया. उन्होंने एएनआई से कहा कि भारत के साथ हमारा रिश्ता मजबूत है. हम निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार चाहते हैं. यह बयान 9 जुलाई की समयसीमा से पहले आया है, जब दोनों देशों को एक अंतरिम समझौते पर सहमति बनानी है.
ह्यूस्टन ने ट्रंप प्रशासन के 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडे का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका ऐसी व्यापार नीतियां चाहता है जो सभी पक्षों को लाभ दे. उन्होंने टैरिफ के फैसले का बचाव किया और कहा कि अनुचित व्यापार प्रथाओं ने अमेरिकी किसानों और उद्योगों को नुकसान पहुंचाया है. टैरिफ निष्पक्षता सुनिश्चित करने का तरीका है. उनका कहना था कि भारत के साथ मिलकर काम करने से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता आएगी.
भारत और अमेरिका के बीच बातचीत 9 जुलाई को खत्म होने वाली 90-दिवसीय टैरिफ छूट की समयसीमा से पहले तेज हो गई है. अगर समझौता नहीं हुआ, तो 26 प्रतिशत टैरिफ व्यवस्था फिर से लागू हो सकती है. यह टैरिफ पहली बार अप्रैल 2020 में ट्रंप प्रशासन ने लगाया था. भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल वाशिंगटन में डटे हुए हैं. पहले गुरुवार और शुक्रवार को तय वार्ता को अब जल्दी शुरू कर दिया गया है, ताकि समयसीमा से पहले समझौता हो सके. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के साथ समझौते पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ एक अनोखा समझौता करेंगे, जिसमें दोनों देश प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे. ट्रंप ने भारत की कुछ व्यापार नीतियों को प्रतिबंधात्मक बताया और कहा कि भारत को अब और खुलना होगा. अगर ऐसा हुआ, तो हम कम टैरिफ के साथ समझौता करेंगे. उन्होंने जोर दिया कि यह समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा.
वार्ता में कृषि क्षेत्र एक बड़ा विवाद बना हुआ है. भारत ने कृषि से जुड़ी चिंताओं पर सख्त रुख अपनाया है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह मुद्दा बातचीत में सबसे बड़ी बाधा है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने चेतावनी दी कि अगर समझौता नहीं हुआ, तो 26 प्रतिशत टैरिफ तुरंत लागू हो जाएगा. उन्होंने कहा कि वार्ता की विफलता से टैरिफ व्यवस्था फिर से शुरू होगी, जो दोनों देशों के लिए नुकसानदायक हो सकती है. भारत और अमेरिका के बीच यह व्यापार समझौता दोनों देशों के रिश्तों के लिए अहम है. निष्पक्ष और संतुलित व्यापार नीति से न केवल आर्थिक संबंध मजबूत होंगे, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सामरिक सहयोग भी बढ़ेगा. दोनों पक्षों को समयसीमा से पहले एक रास्ता निकालना होगा, ताकि व्यापारिक तनाव कम हो और सहयोग का नया अध्याय शुरू हो.