Donald Trump: भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध रोकने में उनकी अहम भूमिका रही, लेकिन इसके बावजूद उन्हें यह प्रतिष्ठित पुरस्कार नहीं मिलेगा. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकालते हुए कई वैश्विक संघर्षों को सुलझाने का श्रेय लिया, लेकिन भारत सरकार ने उनकी मध्यस्थता के दावे को सिरे से खारिज कर दिया.
भारत-पाक सीजफायर पर ट्रंप का दावा
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाने के बावजूद मुझे शांति का नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा. मैं चाहे जितना कुछ कर लूं, मुझे यह सम्मान नहीं दिया जाएगा." उन्होंने इस पोस्ट में छह बार नोबेल शांति पुरस्कार का जिक्र किया.
ट्रंप ने भारत-पाक के अलावा रवांडा-कॉन्गो संधि, सर्बिया-कोसोवो सीजफायर, मिस्र-इथियोपिया शांति बहाली, मध्य पूर्व, रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-ईरान तनाव जैसे मुद्दों का हवाला दिया. उनका कहना है कि इन प्रयासों के बावजूद उन्हें नोबेल पुरस्कार से वंचित रखा जा रहा है.
भारत का स्पष्ट जवाब
भारत सरकार ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए साफ किया है कि पाकिस्तान के साथ सीजफायर का फैसला बिना किसी अमेरिकी हस्तक्षेप के, पड़ोसी देश के अनुरोध पर हुआ था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी कह चुके हैं कि इस मामले में अमेरिका की कोई मध्यस्थता नहीं थी. भारत ने हमेशा अपनी विदेश नीति में स्वतंत्रता और संप्रभुता को प्राथमिकता दी है.
ट्रंप की नोबेल की चाहत
ट्रंप लंबे समय से शांति का नोबेल पुरस्कार पाने की इच्छा जता रहे हैं. उनकी यह पोस्ट उनकी उस निराशा को दर्शाता है, जहां वह वैश्विक शांति के लिए अपने प्रयासों का श्रेय लेना चाहते हैं. हालांकि, भारत जैसे देशों के स्पष्टीकरण उनके दावों पर सवाल उठाते हैं.