Israel and Iran Conflict: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि ईरान और इजरायल अब इस युद्ध को समाप्त करने के लिए एकमत हो गए हैं. हालांकि ट्रंप के इस बयान के बाद ईरान ने इसे मानने से इनकार कर दिया है. ईरान के विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची का कहना है कि ऐसी कोई भी सहमति नहीं बनी है. न ही ऐसा होने के पीछे कोई कारण नजर आ रहा है. उन्होंने अपनी बातों को फिर से दोहराते हुए कहा कि युद्ध इजरायल की ओर से शुरु की गई थी, ईरान की तरफ से नहीं की गई थी.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने युद्ध विराम की बात को नकार दिया. उन्होंने कहा कि ईरान वह देश नहीं जो आत्मसमर्पण करता है. खामेनेई ने जोर देकर कहा कि ईरानी लोग दबाव या धमकियों के आगे नहीं झुकते. उन्होंने यह भी कहा कि ईरान ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया और वह किसी का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं करेगा. खामेनेई ने ईरानी राष्ट्र के इतिहास और संकल्प की ताकत पर गर्व जताया.
ईरानी विदेश मंत्री अराघची ने दोहराया कि इस तनाव की शुरुआत इजरायल ने की, न कि ईरान ने की. उन्होंने कहा कि अभी तक युद्ध विराम या सैन्य अभियानों को रोकने का कोई समझौता नहीं हुआ है. हालांकि, ईरान ने यह शर्त रखी कि अगर इजरायल तेहरान समयानुसार सुबह 4 बजे तक अपनी आक्रामकता बंद करता है, तो ईरान अपनी जवाबी कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाएगा. अराघची ने यह भी कहा कि सैन्य अभियानों को रोकने का अंतिम फैसला बाद में लिया जाएगा. अराघची ने कहा कि इजरायल को उसके हमलों का जवाब देने के लिए ईरान के सशस्त्र बल सुबह 4 बजे तक सैन्य अभियान जारी रखेंगे. उन्होंने ईरानी सेना की बहादुरी की तारीफ की और कहा कि वे आखिरी सांस तक देश की रक्षा करेंगे. अराघची ने बताया कि ईरानी बलों ने हर दुश्मन हमले का माकूल जवाब दिया है. उन्होंने देशवासियों की ओर से सशस्त्र बलों का आभार जताया.
ईरान और इजरायल के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक चिंता का विषय बन गया है. ट्रंप के दावे ने भले ही कुछ समय के लिए राहत की उम्मीद जगाई, लेकिन ईरान के सख्त रुख ने स्थिति को और जटिल कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा भी लगातार इस लड़ाई को खत्म करने के लिए दबाव डाला जा रहा है. फिलहाल, दोनों देशों के बीच युद्ध विराम की कोई ठोस संभावना नहीं दिख रही. ईरान ने साफ कर दिया है कि वह इजरायल की आक्रामकता का जवाब देना जारी रखेगा. वहीं, इजरायल की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है. यह तनाव क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. दुनिया की नजर अब इस बात पर है कि क्या दोनों देश बातचीत की मेज पर आएंगे या स्थिति और बिगड़ेगी.