Maria Corina Machado: नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान कर दिया गया है. समिति द्वारा वेनेजुएला की मुख्य विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को विनर के रूप में चुना गया है. उनकी इस जीत के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उम्मीदों पर पानी फिर चुका है.
डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ महीनों से लगातार खुद को नोबेल के सबसे मजबूत उम्मीदवार बता रहे थे. उन्होंने आठ युद्धों को सुलझाने का दावा किया था. जिसमें इजरायल और फिलिस्तीन का शांति समझौता सबसे खास था. हालांकि इसके बाद भी मारियों को इस पुरस्कार के लिए चुना गया.
मारिया कोरिना मचाडो का नाम लेते हुए समिति ने कहा कि जब सत्तावादी शक्ति हथिया लेते हैं, तब स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को पहचानना जरूरी है. मचाडो का साहस और दृढ़ता दुनिया के लिए मिसाल है. पिछले एक साल से मचाडो को छिपकर रहना पड़ा. उनकी जान को खतरा था, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए अपनी आवाज बुलंद रखी. नोबेल समिति ने उनके इस जज्बे को सराहा. समिति ने X पर कहा कि लोकतंत्र उन लोगों पर निर्भर करता है जो चुप नहीं रहते है. मचाडो ने साबित किया कि स्वतंत्रता की रक्षा साहस और संकल्प से होती है. इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए 338 व्यक्ति और संगठन नामांकित थे.
वैश्विक संघर्षों को खत्म किया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी इस पुरस्कार के लिए चर्चा में माना जा रहा था. ट्रंप ने दावा किया था कि उनके प्रशासन ने कई वैश्विक संघर्षों को रिकॉर्ड समय में खत्म किया. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि नोबेल समिति त्वरित जीत के बजाय दीर्घकालिक शांति प्रयासों को प्राथमिकता देती है. हेनरी जैक्सन सोसाइटी के इतिहासकार थियो ज़ेनोउ ने कहा कि लड़ाई को थोड़े समय के लिए रोकना और संघर्ष के मूल कारणों को हल करना अलग-अलग बातें हैं. उन्होंने ट्रंप के जलवायु परिवर्तन पर रुख को भी पुरस्कार के खिलाफ बताया. नोबेल समिति पर पहले भी राजनीतिक दबाव के आरोप लगे हैं. 2009 में बराक ओबामा को उनके पहले कार्यकाल के नौ महीने बाद ही पुरस्कार देने पर समिति की आलोचना हुई थी.