नई दिल्ली: थाईलैंड और कंबोडिया के नेताओं ने रविवार को 47वें आसियान शिखर सम्मेलन में एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते ने दोनों देशों के बीच हालिया सैन्य संघर्ष को खत्म करने का रास्ता साफ किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में हुए इस समझौते को क्षेत्रीय शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
यह समझौता थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से चले आ रहे विवाद को खत्म करने की दिशा में बड़ा कदम है. जुलाई में हुए पांच दिन के तीव्र संघर्ष में दर्जनों लोग मारे गए थे. इस समझौते का उद्देश्य शत्रुता को पूरी तरह खत्म करना और स्थायी शांति की नींव रखना है. ट्रंप ने इसे दक्षिण पूर्व एशिया के लिए ऐतिहासिक दिन बताया.
समझौते पर सह-हस्ताक्षर करने वाले ट्रंप ने दोनों देशों को शांति के लिए प्रेरित किया. उन्होंने उच्च शुल्क लगाने की धमकी देकर थाईलैंड और कंबोडिया को बातचीत की मेज पर लाने में अहम भूमिका निभाई. इस संघर्ष के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए थे. ट्रंप ने कहा कि यह समझौता क्षेत्र में शांति और समृद्धि का प्रतीक है. समझौते के तहत थाईलैंड ने 18 कंबोडियाई सैनिकों को रिहा करने का वादा किया. दोनों देश सीमा क्षेत्र से भारी हथियार हटाएंगे. यह कदम तनाव कम करने और विश्वास बहाली के लिए उठाया गया है. दोनों पक्षों ने भविष्य में बातचीत के जरिए विवाद सुलझाने पर सहमति जताई.
ट्रंप अपने एशियाई दौरे के पहले चरण में क्षेत्रीय कूटनीति को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं. व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रंप कुआलालंपुर में मलेशिया के साथ एक महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे. यह कदम अमेरिका की क्षेत्र में बढ़ती भूमिका को दर्शाता है. थाईलैंड और कंबोडिया के बीच यह समझौता न केवल दोनों देशों, बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया के लिए शांति का संदेश है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देगा. हालांकि, समझौते के कार्यान्वयन पर सभी की नजरें रहेंगी. इस समझौते की मदद से दोनों देशों के बीच तनाव कम होगा और रिश्ते भी सुधरेंगे.