प्रेग्नेंसी किसी भी औरत के जीवन का सबसे खूबसूरत और भावनात्मक सफ़र होता है. यदि आप नैचुरल तरीके से कंसीव करने की कोशिश कर रही हैं, तो आपका शरीर, दिमाग और हॉर्मोन एकदम संतुलित होना बेहद ज़रूरी है. यही तीन बातें एक हेल्दी गर्भावस्था की नींव बनाती हैं.
रेगुलर और हेल्दी पीरियड्स हॉर्मोनल स्वास्थ्य का सबसे बड़ा संकेत हैं. यदि आपको इर्रेगुलर पीरियड्स, PCOS के लक्षण, या बहुत कम/ज़्यादा ब्लीडिंग होती है, तो यह ओव्यूलेशन और फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकता है. आयुर्वेद में इसके लिए शतावरी, अशोक, दशमूल जैसी जड़ीबूटियाँ फायदेमंद मानी जाती हैं. पंचकर्म जैसी थेरेपी शरीर को डिटॉक्स कर फर्टिलिटी को नैचुरली बढ़ाने में मदद करती हैं.
हेल्दी एग क्वालिटी नेचुरल कंसेप्शन की सबसे महत्वपूर्ण कुंजी है. कुछ आसान बदलाव आपकी ओवेरियन हेल्थ को काफी हद तक बेहतर कर सकते हैं:
अगर आप नेचुरल प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं, तो शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन बेहद उपयोगी है. आयुर्वेद में विरचन, बस्ती और अभ्यंग जैसी डिटॉक्स थेरेपी का उपयोग शरीर की सफाई करके गर्भधारण की क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है.
कई IVF फेलियर, बारबार मिसकैरेज या इम्प्लांटेशन न होने की वजह अक्सर कमजोर यूटेरस होता है. यूटेरस को मजबूत बनाने के लिए अश्वगंधा, शतावरी, गोक्षुरा और अन्य आयुर्वेदिक जड़ीबूटियों का सेवन उपयोगी माना जाता है. ये रक्त प्रवाह को बढ़ाते हैं, सूजन कम करते हैं और यूटेरस की क्वालिटी को बेहतर बनाते हैं.
स्ट्रेस फर्टिलिटी का सबसे बड़ा दुश्मन है. हॉर्मोनल बैलेंस और ओव्यूलेशन दोनों स्ट्रेस से बिगड़ जाते हैं. दिमाग शांत होने से फर्टिलिटी नैचुरली बढ़ती है.
नेचुरल कंसीव सिर्फ महिलाओं पर निर्भर नहीं होता.पुरुषों की फर्टिलिटी भी उतनी ही जरूरी है. अपने पार्टनर को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
ये सब स्पर्म काउंट और क्वालिटी दोनों को बेहतर बनाते हैं.