India-US Trade: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि जल्द ही वे भारत के साथ व्यापार समझौते की घोषणा करने वाले हैं. उन्होंने एयर फोर्स वन में पत्रकारों से कहा कि हम भारत के साथ एक अलग तरह का सौदा करने जा रहे हैं. यह ऐसा समझौता होगा, जिसमें कम टैरिफ के साथ दोनों देश वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे. ट्रंप का मानना है कि भारत अब अपने बाजार को खोलेगा.
भारत और अमेरिका 9 जुलाई 2025 से पहले इस समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश में जुटे हैं. यह समय सीमा महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बाद 26% अतिरिक्त टैरिफ फिर से लागू हो सकता है. यह टैरिफ 2 अप्रैल को ट्रंप प्रशासन ने लगाया था, लेकिन इसे 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया था. यदि समझौता नहीं हुआ, तो यह टैरिफ फिर से शुरू हो सकता है.
भारत ने कृषि और डेयरी क्षेत्रों में सख्त रुख अपनाया है. भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में अपनी वार्ता को बढ़ा दिया है. भारत के लिए कृषि क्षेत्र संवेदनशील है क्योंकि ज्यादातर किसान छोटे स्तर पर खेती करते हैं. डेयरी क्षेत्र को भारत ने कभी भी मुक्त व्यापार समझौतों में नहीं खोला. अमेरिका अपने कृषि उत्पादों जैसे सेब, बादाम और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों पर कम टैरिफ चाहता है. इसके अलावा, वह औद्योगिक वस्तुओं, इलेक्ट्रिक वाहनों, शराब और पेट्रोरसायन उत्पादों पर भी रियायत मांग रहा है. भारत इन मांगों पर सावधानी से विचार कर रहा है, क्योंकि यह किसानों की आजीविका को प्रभावित कर सकता है.
भारत अपने श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे कपड़ा, परिधान, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले के लिए टैरिफ छूट चाहता है. ये क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं. भारत का लक्ष्य इन निर्यातों को अमेरिकी बाजार में बढ़ावा देना है. दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक ले जाना चाहते हैं. इसके लिए सितंबर-अक्टूबर 2024 तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने की योजना है. यह समझौता कई चरणों में होगा. वर्तमान में भारत का अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष 45.7 अरब डॉलर है.
कृषि और डेयरी क्षेत्रों में मतभेद के बावजूद, दोनों देश समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं. भारतीय दल ने अपनी वाशिंगटन यात्रा को 30 जून तक बढ़ाया है. अगर 9 जुलाई तक समझौता नहीं हुआ, तो टैरिफ का खतरा बढ़ेगा. फिर भी, ट्रंप और भारतीय अधिकारियों की सकारात्मक टिप्पणियां उम्मीद जगाती हैं. यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है. कम टैरिफ से दोनों देशों को फायदा होगा. भारत को अपनी निर्यात क्षमता बढ़ाने और अमेरिका को अपने उत्पादों के लिए बाजार मिलेगा. यह व्यापार साझेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था में दोनों देशों की स्थिति को मजबूत करेगी.