जानें कौन है अक्षता कृष्णमूर्ति जिन्होंने NASA के मंगल मिशन में रोवर चलाकर रचा इतिहास

NASA के मंगल मिशन में रोवर चलाकर इतिहास रचने वाली अक्षता कृष्णमूर्ति ने कहा कि कई बार लोगों ने उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश की लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

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Akshata Krishnmurty: दुष्यंत कुमार का एक शेर है कि 'कौन कहता है कि आसमां में सुराख हो नहीं सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों'. ऐसी ही कहानी है भारत की बेटी अक्षता कृष्णमूर्ति की. बचपन में हर कोई सपना देखता है. लेकिन शायद बड़े होने तक हमें आधे सपने याद भी नहीं रहते हैं. लेकिन उनमें ही से कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो उन सपनों की गठरी बाँध के ही बड़े होते हैं और ऐसे ही लोग फिर बचपन के उस सपने को हकीक़त में बदलते हैं. ऐसे ही बचपन से एस्ट्रोनॉट बनने का सपना लेकर बड़ी हुई थी अक्षता कृष्णमूर्ति.

अक्षता ने बचपन में ही फैसला कर लिया था कि उन्हें बड़े होकर एस्ट्रोनॉट बनना है और अमेरिकी स्पेस एजेंसी नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) में काम करना है. अपनी कड़ी मेहनत और लगन से न सिर्फ उन्होंने अपना सपना पूरा किया बल्कि  NASA के मंगल मिशन में रोवर चलाकर उन्होंने इतिहास रच दिया. अक्षता भारत की पहली महिला हैं जिन्होंने मंगल मिशन में रोवर चलाया है. 

लोगों ने तोड़ा मनोबल लेकिन हार नहीं मानी 

डॉक्टर अक्षता कृष्णमूर्ति की कहानी काफी प्रेरणादायी है. उनकी कहानी में सब कुछ है, सपना, सपने को पूरी करने के लिए मेहनत और हिम्मत तोड़ने के लिए लोगों की बातें. अक्षता बताती हैं कि उनका NASA पहुंचने का सफर इतना आसान नहीं था. सपने को हक़ीकत में बदलने की राह में कई बाधाएं आयी. कई बार लोगों की बातों ने उनका मनोबल भी तोड़ा लेकिन वो अपने सपने को लेकर बिलकुल निश्चिन्त थी. उनकी पाजिटिविटी और मेहनत ने उन्हें लोगों की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देने दिया. इन्हीं सालों की  कड़ी मेहनत का परिणाम है कि  आज अक्षता उस मुकाम पर हैं, जहाँ वो लाखों लोगों खासकर महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं.  

मंगल मिशन में रोवर चलकर बनाया कीर्तिमान 

मस्कट इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से पढाई करके नासा पहुंचने वाली डॉक्टर अक्षता कृष्णमूर्ति करीब 13 सालों से NASA में काम कर रही है. बचपन से ही NASA में काम करने का सपना देखने वाली अक्षता ने न सिर्फ NASA में काम कर रही हैं बल्कि उन्होंने NASA के मंगल मिशन में अहम भूमिका भी निभाई है. वो मंगल गृह पर रोवर चलाने वाली पहली भारतीय महिला बन गयी है. अक्षता कृष्णमूर्ति ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर इससे जुडी पोस्ट की है. उन्होंने बताया कि मंगल मिशन के तहत NASA के वैज्ञानिक मंगल गृह पर सैम्पल्स इकठ्ठा करने गए. इस मिशन में मंगल ग्रह पर रोवर चलाने के लिए अक्षता को चुना गया था. 

लोगों ने कहा- प्लान B तैयार रखो.. 

अक्षता ने इंस्टाग्राम पर अपनी कहानी बताते हुए लिखा कि 'मैं 13 साल पहले अमेरिका में नासा के साथ काम करने आई थी. जमीन और मंगल ग्रह पर विज्ञान और रोबोटिक ऑपरेशन की अगुवाई करने के सपने के अलावा मेरे पास कुछ नहीं था. मेरी जिन लोगों से मुलाकात हुई थी, उन्होंने कहा कि मेरे लिए यह नामुमकिन है क्योंकि मेरे पास विदेशी वीजा है इसलिए उन्हें प्लान बी तैयार रखना चाहिए या फिर अपना फील्ड ही चेंज कर देना चाहिए.' हालाँकि उन्होंने लोगों की बातों पर कभी भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया.