बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के वित्त सलाहकार सलेहुद्दीन अहमद ने हाल ही में भारत के साथ व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में हो रही कोशिशों का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस मौजूदा राजनीतिक तनावों से अलग हटकर दोनों देशों के आर्थिक हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं. यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध अपने निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं, जिसमें विरोध प्रदर्शन और कूटनीतिक तनाव शामिल हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि 1971 की आजादी के बाद यह सबसे चुनौतीपूर्ण दौर है.
सलेहुद्दीन अहमद ने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि मुहम्मद यूनुस भारत के साथ संबंध सुधारने के लिए सक्रिय हैं. वे विभिन्न पक्षों से चर्चा कर रहे हैं, ताकि राजनीतिक बयानबाजी आर्थिक सहयोग को प्रभावित न करे. अहमद ने जोर देकर कहा कि मुख्य सलाहकार सीधे बातचीत में शामिल नहीं हैं, लेकिन वे संबंधित लोगों के संपर्क में बने हुए हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बांग्लादेश की व्यापार नीति राजनीति से अलग है. अगर भारत से चावल आयात करना अन्य देशों से सस्ता पड़ता है, तो इसे प्राथमिकता दी जाएगी. इसी कड़ी में, बांग्लादेश ने हाल ही में भारत से 50,000 टन चावल खरीदने का निर्णय लिया है, जो दोनों देशों के बीच सकारात्मक संकेत है. यह फैसला नई दिल्ली के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है.
बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा ने स्थिति को और जटिल बना दिया है. 12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान 32 वर्षीय युवा नेता शरीफ उस्मान बिन हादी पर अज्ञात हमलावरों ने हमला किया. उन्हें सिर में गोली लगी थी, जिसके बाद उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, लेकिन वहां उनकी मौत हो गई. इस घटना ने पूरे देश में अशांति फैला दी. विभिन्न क्षेत्रों से हिंसा, तोड़फोड़ और विरोध प्रदर्शनों की खबरें आईं. अधिकारियों के मुताबिक, चटोग्राम में भारतीय सहायक उच्चायुक्त के आवास पर पत्थरबाजी की घटना भी हुई.
हादी की मौत के बाद बांग्लादेशी मीडिया में कुछ अपुष्ट दावे प्रसारित हुए, जिनमें कहा गया कि हमलावर भारत भाग गया होगा. इन अफवाहों ने पहले से संवेदनशील रिश्तों को और तनावपूर्ण बना दिया. कुछ इलाकों में हिंसा सांप्रदायिक रूप ले चुकी है. इसी दौरान मैमनसिंह में हिंदू समुदाय के दीपू चंद्र दास पर ईशनिंदा के आरोप लगाकर भीड़ ने हमला किया, जिससे उनकी मौत हो गई. अधिकारियों ने इस मामले में कम से कम 12 लोगों को गिरफ्तार किया है. अल्पसंख्यक समुदायों पर हो रहे हमलों ने स्थिति को गंभीर बना दिया है.
इन घटनाओं पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. यहां विरोध प्रदर्शन हुए, जहां बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की गई. दोनों देश एक-दूसरे के दूतों को बुलाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं. राजनयिक विश्लेषकों का कहना है कि यह तनाव दूतावासों के बाहर प्रदर्शनों से और बढ़ रहा है. हालांकि, सलेहुद्दीन अहमद के बयान से लगता है कि बांग्लादेश आर्थिक मोर्चे पर सहयोग बढ़ाने का इरादा रखता है. विशेषज्ञों की राय में, दोनों देशों को राजनीतिक मुद्दों से अलग हटकर व्यापार और सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि क्षेत्रीय स्थिरता बनी रहे. यह स्थिति दर्शाती है कि पड़ोसी देशों के बीच तनाव के बावजूद आर्थिक हित मजबूत रिश्तों की नींव रख सकते हैं.