Citizenship Amendment Act: केंद्र सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव से पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने का फैसला लिया है. जिसके बाद एक बार फिर से इसको लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. गृहमंत्री अमित शाह की घोषणा के बाद से ही विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी CAA को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर CAA के जरिए मतदाताओं के ध्रुवीकरण का आरोप लगाया है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया पल्टफॉर्म X पर पोस्ट करके केंद्र सरकार पर हमला किया है. उन्होंने पोस्ट में लिखा, "मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में संसद में विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम को पास कर दिया था. संसदीय प्रक्रियाओं के अनुसार कानून को लागू करने के नियम छह महीने के भीतर लागू होने चाहिए थे, लेकिन इसके लिए नौ एक्सटेंशन मांगे गए और दिए गए.''
The Modi government bulldozed the contentious Citizenship Amendment Act in Parliament in December 2019. Rules to make the law operational should have been in place according to Parliamentary procedures within six months. But nine extensions were sought and given.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) January 3, 2024
Now we are…
उन्होंने आगे लिखा, "अब हमें सूचित किया गया है कि नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित किया जाएगा. इससे यह स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य हमेशा चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का एक हथियार था."
जयराम रमेश से पहले ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर सरकार पर हमला किया था. उन्होंने सरकार को संविधान विरोधी बताते हुए कहा था कि यह कानून का उल्लंघन करता है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर राजनीति के लिए धर्म का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया. ओवैसी ने कहा कि भाजपा सरकार ने यह कानून धर्म के आधार पर बनाया है.
केंद्र सरकार के उच्च अधिकारियों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया था कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले ही CAA की नियमावली अधिसूचित कर दिये जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार किया जा चुका है. जिसके जरिए आवेदन की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी होगी.
नागरिकता संशोधन कानून साल 2019 में संसद से पास हुआ था. इस कानून के तहत भारतीय नागरिकता की परिभाषा तय की गई है. इस कानून के जरिए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिमों को भारत की नागरिकता दी जाएगी. हालांकि संसद से ये कानून पास होने के बाद देश के कुछ हिस्सों में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन हुए थे.
गृह मंत्रालय ने 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में अब तक कितने गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों को भारतीय नागरिकता दी गई है, इसकी संख्या भी बताई है. जारी रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसम्बर 2021 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अलसंख्यक गैर-मुस्लिम समुदायों के 1414 विदेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई है.
जिन 9 राज्यों में इन लोगों को नागरिकता दी गई हैं उनमें गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और महाराष्ट्र शामिल है.