नई दिल्ली: द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कषगम) के सांसदों ने श्रीलंकाई नौसेना द्वारा तमिलनाडु के मछुआरों की गिरफ्तारी को लेकर लोकसभा में विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की. सांसदों ने मांग की कि सरकार इस विवाद का स्थायी समाधान निकाले और मछुआरों को शीघ्र रिहा करे.
द्रमुक के कई सदस्य प्रश्नकाल के बाद इस मुद्दे को उठाते हुए नारेबाजी करने लगे. पीठासीन सभापति दिलीप सैकिया ने द्रमुक सांसद कनिमोझी को बोलने की अनुमति दी. कनिमोझी ने बताया कि श्रीलंकाई नौसेना लगातार तमिलनाडु के मछुआरों को परेशान कर रही है और उनकी गिरफ्तारी कर रही है. उन्होंने कहा, "कई मछुआरे श्रीलंकाई जेलों में बंद हैं. 97 से अधिक मछुआरे वहां कैद हैं और उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है."
कनिमोझी ने आरोप लगाया कि श्रीलंकाई नौसेना ने मछली पकड़ने वाली 210 से अधिक भारतीय नौकाओं को जब्त कर लिया है. इसके साथ ही, उन्होंने मछुआरों पर गोलीबारी करने और उन्हें शारीरिक उत्पीड़न करने का भी आरोप लगाया.
इस मुद्दे पर कांग्रेस और वाम दलों के सांसदों ने द्रमुक के नेतृत्व में संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इन सांसदों ने हाथों में तख्तियां पकड़ी थीं, जिन पर "तमिल मछुआरों के लिए न्याय", "हमारे मछुआरों को वापस लाओ", "अब और गिरफ्तारी नहीं" और "तमिलनाडु के मछुआरे भारतीय हैं" जैसे नारे लिखे थे.
कनिमोझी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को कई बार पत्र लिखकर श्रीलंका के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का आग्रह किया है. उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु के मछुआरों की आजीविका को प्रभावित किया जा रहा है और सरकार को इस समस्या का स्थायी समाधान जल्द से जल्द निकालना चाहिए.
भारत और श्रीलंका के बीच मछुआरों के मुद्दे को लेकर दशकों से विवाद चल रहा है। यह मुद्दा राजनीतिक, सामाजिक और मानवाधिकार के दृष्टिकोण से गंभीर होता जा रहा है. भारतीय मछुआरों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार का हस्तक्षेप अब आवश्यक बन गया है.
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