Supreem Court: सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच को लेकर अहम बयान दिया है. कोर्ट ने आज यानि बुधवार को कहा कि किसी भी और सभी प्रकार के नफरत भरे भाषणों के खिलाफ जरूर कार्रवाई की जानी चाहिए. अदालत की तरफ से यह टिप्पणी ऐसे समय पर सामने आई है जब वह हेट स्पीच के मामलों को लेकर लोगों और समूहों की और से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा थी. कोर्ट ने फरवरी में दायर की गई कई याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई है, जिसमें नफरत फैलाने वाले भाषणों पर अंकुश लगाने के लिए एक तंत्र स्थापित करने की मांग की गई है.
जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने क्या कहा?
बता दें, कि जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है कि "हम घृणा फैलाने वाले भाषणों की समस्या की देशभर में निगरानी नहीं कर सकते. उन्होंने कहा कि भारत जैसे बड़े देश में समस्याएं तो होंगी ही लेकिन सवाल यह पूछा जाना चाहिए कि क्या हमारे पास इससे निपटने के लिए कोई प्रशासनिक तंत्र है?''सुनवाई कर रही बेंच में जस्टिस एसवीएन भट्टी भी शामिल थे.
अगले साल फरवरी के लिए सुनवाई की पोस्ट
हेट स्पीच मामले को अगले साल फरवरी नें सुनवाई के लिए पोस्ट करते हुए बेंच ने कहा, ''समाज को पता होना चाहिए कि अगर किसी कानून का उल्लंघन किया जाता है तो उसके बाद कार्रवाई होगी. हम ये कार्यवाही देशभर के आधार पर नहीं कर सकते, नहीं तो हर दिन अर्जियां आती रहेंगी.''
बता दें कि 2018 में तहसीन पूनावाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिए थे और उन्हें घृणा अपराधों को रोकने और यहां तक कि अपराध दर्ज करने के लिए जिम्मेदार एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश भी दिया था.
इससे पहले अप्रैल में देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को संरक्षित करने के महत्व पर जोर देते हुए कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुखों को किसी भी धर्म के लोगों की ओर से दिए गए नफरत भरे भाषणों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर मामले दर्ज करने का निर्देश दिया था, साथ ही निर्देश का पालन नहीं होने पर अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी थी.