Richets judge of India: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. 1 अप्रैल 2025 के बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजों की संपत्ति के विवरण को आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करना शुरू कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के बयान के मुताबिक अभी पहले से प्राप्त संपत्ति विवरण अपलोड किए जा रहे हैं, जबकि अन्य जजों की जानकारी जल्द ही वेबसाइट पर डाली जाएगी. न्यायाधीशों का मानना है कि ऐसा करने से पारदर्शिता बढ़ेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति प्रक्रिया को भी सार्वजनिक किया है. इसमें उच्च न्यायालय कॉलेजियम की भूमिका, केंद्र व राज्य सरकारों के इनपुट और सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम के निर्णयों की प्रक्रिया शामिल है. इसका उद्देश्य जनता को नियुक्ति प्रक्रिया की पारदर्शिता से अवगत कराना है. इसके अलावा लगभग पिछले दो सालों में उच्च न्यायालयों में जजों की हुई नियुक्तियों की जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है. इसमें नियुक्त जजों के नाम, उनके उच्च न्यायालय, नियुक्ति की तारीख, श्रेणी (एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला), और मौजूदा या सेवानिवृत्त जजों से पारिवारिक संबंधों की जानकारी शामिल है.
मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने अपनी संपत्ति का खुलासा किया. जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पास 55.75 लाख रुपये की सावधि जमा और बैंक बैलेंस, 1.77 करोड़ रुपये का सामान्य भविष्य निधि (जीपीएफ), और 1.39 करोड़ रुपये के शेयर व म्यूचुअल फंड शामिल हैं. उनके पास 64.51 लाख रुपये की सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), 250 ग्राम सोना, 2 किलोग्राम चांदी और 2015 की मारुति स्विफ्ट कार भी है. इसके अतिरिक्त, उनके पास पारिवारिक विरासत में मिले 700 ग्राम सोने के आभूषण और अन्य कीमती रत्न हैं.
जस्टिस केवी विश्वनाथन ने सबसे धनी जज के रूप में 120.96 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश का खुलासा किया.जिसमें शेयर, म्यूचुअल फंड, और फिक्स्ड डिपॉजिट शामिल हैं. उनके पास 1,450 ग्राम सोने के आभूषण, दो टोयोटा कारें (हाइब्रिड कैमरी और अल्टिस), और आरबीआई की उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत 5 लाख अमेरिकी डॉलर की राशि भी है. यह कदम न्यायिक पारदर्शिता को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण है.