Jhansi Hospital Fire: देखने लायक भी नहीं बचा नवजातों का शव! 80% तक शरीर हुआ खाक, जिम्मेदार कौन?

झांसी अस्पताल में हुई लापरवाही के कारण 10 नवजातों की जान चली गई. उनके शव को भी पहचान करना मुश्किल था. पहचान के लिए DNA टेस्ट करना पड़ा. अब सवाल ये है कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? अस्पतला प्रशासन जिन्होंने फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर रखा था या फिर सरकार जो अस्पतालों में सुरक्षा की जांच नहीं करती है. या एक बार फिर नियति को कोस दिया जाए?

Date Updated
फॉलो करें:
Courtesy: Social Media

Jhansi Hospital Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई सरकारी मेडिकल कॉलेज के स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में शुक्रवार को भयावह घटना घटी. इस घटना में 10 नवजात शिशुओं की जिंदा जलकर मौत हो गई. घटना इतना भयावह था कि मासूमों को देखकर अच्छे-अच्छे के होश उड़ जाए. वो बच्चे जो शायद अभी अपनी आंखों सही ढंग से खोले भी नहीं होंगे उनकी आंखें हमेशा के लिए बंद हो गई. उनके माता-पिता के लिए मानों सबकुछ खत्म हो गया हो. इस घटना को लेकर मानवाधिकार आयोग ने मामले को लेकर कई सवाल उठाए हैं.

घटना के बाद शनिवार को इनमें से 7 बच्चों का  पोस्टमॉर्टम किया गया. जिसमें पता चला की बच्चों का शरीर घटना में 70 फीसदी भी ज्यादा जल चुकी थी. घटना इतना भयावह था की बच्चों की पहचान करना भी मुश्किल था. पहचान के लिए सभी बच्चों का DNA टेस्ट किया गया. जिसमें 3 बच्चों की पहचान नहीं की जा सकी, इसलिए उनका पोस्टमॉर्टम भी नहीं किया जा सका. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद नवजातों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया है. 

घायल बच्चों का इलाज जारी 

इस घटना को लेकर कुछ लोगों का कहना था कि सरकार अपने डेटा को छुपाने की कोशिश कर रही है. इस घटना में 10 से भी ज्यादा नवजातों की जान गई है. हालांकि इस आरोप पर झांसी जिला प्रशासन ने 10 बच्चों के शवों की फोटो जारी करते हुए कहा कि इस घटना में 10 बच्चों की मौत हुई है, ज्यादा मौतों की बात गलत है. हालांकि इस घटना में कुछ बच्चे आंग के धुंए और कुछ आग के लपेटे में आने से घायल हो गएं हैं. सभी घायल नवजातों का मुफ्त इलाज जिले के अन्य अस्पतालों में किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मामले को लेकर कहा कि इस हादसे की एक नहीं बल्कि तीन लेवल पर जांच कराई जाएगी. पहले स्वास्थ्य विभाग दूसरी पुलिस और तीसरी जांच मजिस्ट्रेट द्वारा की जाएगी. अगर किसी की चूक सामने आती है तो उनपर एक्शन लिया जाएगा. 

फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर 

मिल रही जानकारी के मुताबिक यह घटना शुक्रवार को रात 10 बजे घटी थी. ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग के कारण घमाका हो गया और पूरे वार्ड में आग फैल गया. हालांकि इस दौरान वार्ड बॉय ने आग बुझाने की भी कोशिश की, इसके लिए उसने फायर एक्सटिंग्विशर चलाना चाहा लेकिन वो चल ही नहीं पाया. जब उसके डिटेल्स चेक किए गए तो उसमें पता चला कि फायर एक्सटिंग्विशर चार साल पहले ही एक्सपायर हो चुका था. हालांकि घटना की तबतक फायर ब्रिगेड को सूचना दी जा चुकी थी. फायर ब्रिगेड की 6 गाड़ियां पहुंचकर मौके पर काबू पाने की कोशिश की. खिड़की तोड़कर आग बुझाया गया. जिसमें लगभग 2 घंटे लग गए. हालांकि तब तक 10 बच्चे आग के लपेटे में आ चुके थे, वहीं 39 बच्चों को बाहर निकाला गया. जिनका इलाज अब भी जारी है. 

Tags :