Rajnath Singh: केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज यानि बुधवार को उन तीनों के परिजनों से मुलाकात की जो जम्मू कश्मीर के पुंछ में हुए आतंकी हमले के बाद कथित तौर पर सेना के हिरासत में लिए जाने के बाद मृत अवस्था में पाए गए थे. उन्होंने परिवारों को नयाया का आश्वासन दिया है. इस दौरान उनके साथ सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे. राजनाथ सिंह ने इस दौरान सेना की हिरासत में घायल हुए लोगों से भी मुलाकात की. जिसके बाद उन्होंने राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय (जीएमसी) अस्पताल के परिसर में कहा कि जो कुछ भी हुआ उसका न्याय होगा.
सेना को लेकर इससे पहले केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सलाह देते हुए कहा कि आप इस देश के रक्षक है. देश की रक्षा के साथ-साथ आप लोगों से मैं विशेष आग्रह करना चाहता हूं कि देश की रक्षा की जिम्मेदारी आपके पास होने के साथ-साथ देशवासियों के दिल को जीतने की जिम्मेदारी भी आपके कंधों पर है.
राजौरी में रक्षामंत्री श्री @rajnathsingh द्वारा सेना के जवानों को संबोधन के मुख्य बिंदु
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) December 27, 2023
मैं भारत का रक्षा मंत्री और नागरिक होने के नाते सबसे पहले अपने शहीद जवानों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और साथ ही उनके परिवार के प्रति भी अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं और जो भी…
बता दें कि, 21 दिसंबर को पुंछ इलाके में आतंकवादियों की तरफ से घात लगाकर सेना की 2 गाड़ियों पर हमला किया गया था. इस हमले में सेना के 5 जवान शहीद हुए और तीन जवान घायल हो गए थे. इस मामले में भारतीय सेना ने कथित तौर पर 3 नागरिकों, सफीर हुसैन (43), मोहम्मद शौकत (27) और शब्बीर अहमद (32) को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. जो 22 दिसंबर को मृत पाए गए थे. इसके बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें कथित तौर दिखाई दे रहा था की सेना के जवान नागरिकों को यातना दे रहे हैं.
आतंकवाद विरोधी अभियान के चलते राजौरी के थानामंडी इलाके में कथित तौर पर सैनिकों की तरफ से पिटाई किये जाने के बाद 4 लोगों, मोहम्मद जुल्फकार, उनके भाई मोहम्मद बेताब, फजल हुसैन और मोहम्मद फारूक को राजौरी के जीएमसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
इस दौरान आतंकी घटनाओं को देखते हुए और किसी भी तरह की अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए पूंछ और राजौरी जिलों में मोबाईल इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया था. एहतियात के तौर पर उठाए गए इस कदम को उपद्रवी तत्वों को कानून व्यवस्था में बाधा डालने से रोकने और गलत सूचना और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए किया गया था. इसके साथ ही इलाके में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए संवेदनशील क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों की भी तैनाती की गई थी.
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