Raksha Bandhan 2023: जानिए कैसे शुरू हुआ रक्षाबंधन का त्योहार, क्या है इसके पीछे इतिहास

Raksha Bandhan 2023: हर साल सावन के पूर्णिमा के दिन राखी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यानी साल 2023 में रक्षाबंधन 30 अगस्त और 31 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस त्योहार का बेहद महत्व है. इस दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है जिसके बाद भाई बहन […]

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Raksha Bandhan 2023: हर साल सावन के पूर्णिमा के दिन राखी का त्योहार मनाया जाता है. इस साल यानी साल 2023 में रक्षाबंधन 30 अगस्त और 31 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इस त्योहार का बेहद महत्व है. इस दिन बहनें अपने भाई के कलाई पर राखी बांधती है जिसके बाद भाई बहन को आजीवन उसकी रक्षा करने का वादा करता है. लेकिन क्या आप जानते है कि यह त्योहार शुरू कैसे हुई और किसने सबसे पहले अपने भाई को राखी बांधी थी? अगर नहीं तो चलिए जानते हैं.

श्री कृष्ण और द्रौपदी की कथा-

महाभारत काल के दौरान  राजसूय यज्ञ के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया तो उनके हाथ में चोट लग गई. उसी क्षण द्रौपदी अपने साड़ी का एक सिरा फाड़कर भगवान श्री कृष्ण के चोट पर बांध देती है. जिसके बाद भगवान द्रौपदी को सदैव रक्षा करने का वचन देते हैं. इसी के परिणाम स्वरूप जब हस्तिनापुर की सभा में दुशासन द्रौपदी का चीरहरण कर रहा था भगवान ने उनका चीर( साड़ी) बढ़ा कर द्रौपदी की मान की रक्षा की थी.

देवी लक्ष्मी और राजा बलि की कथा-

पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने वामन का अवतार लिया था और राक्षस राज बलि से तीन पग में उनका सारा राज्य मांग लिया था और उन्हें पाताल लोक में निवास करने को कहा तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने मेहमान के रूप में पाताल लोक चलने को कहते है जिसे भगवान विष्णु  इनकार नहीं कर पाते हैं. लेकिन जब काफी समय से विष्णु भगवान अपने धाम नहीं लौटते हैं तो माता लक्ष्मी चिंता में पड़ जाती है. जिसके बाद नारद मूनी माता लक्ष्मी को राजा बलि को अपना भाई बनाने की सलाह देते हैं और उनसे उपहार में विष्णु जी को मांगने को कहते हैं. नारद मुनि की बातों से प्रभावित होकर माता लक्ष्मी ऐसा ही करती है और राजा बली के हाथ पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें अपना भाई बना लेती है और भगवान विष्णु को उपहार में मांग लेती है. इस कथा से भी रक्षाबंधन का त्योहार जोड़ कर देखा जाता है.