Vice Presidential Election: भारत में उपराष्ट्रपति पद के लिए मंगलवार, 9 सितंबर को होने वाले चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. इस बार सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन और विपक्षी इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा. पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफे के बाद यह चुनाव जरूरी हो गया है.
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान मंगलवार सुबह 10 बजे शुरू होगा और शाम 5 बजे तक चलेगा. जिसके बाद मतगणना शाम में किया जाएगा. इसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य हिस्सा लेंगे. निर्वाचक मंडल में लोकसभा के 543 सदस्य (एक सीट रिक्त) और राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य (पांच सीटें रिक्त) के साथ 12 मनोनीत सदस्य शामिल हैं. कुल 786 सदस्यों के साथ जीत के लिए 394 वोट चाहिए.
चुनाव में आंकड़े एनडीए के पक्ष में हैं. लोकसभा में एनडीए के पास 293 सदस्यों का समर्थन है, जबकि राज्यसभा में 129 सदस्यों का साथ है. कुल मिलाकर 422 वोटों के साथ एनडीए जीत के लिए जरूरी 394 वोटों को आसानी से पार कर सकता है. यह स्थिति सीपी राधाकृष्णन के लिए मजबूत आधार प्रदान करती है. पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक इस्तीफा दे दिया. उनका इस्तीफा संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से लागू हुआ. धनखड़ को 2022 में उपराष्ट्रपति बनाया गया था. इससे पहले 2019 से 2022 तक उन्होंने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली थी. उनके अचानक इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी.
एनडीए ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है. 68 वर्षीय राधाकृष्णन तमिलनाडु के गौंडर-कोंगु वेल्लालर समुदाय से आते हैं और ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे भाजपा के मृदुभाषी और गैर-विवादास्पद नेता के रूप में जाने जाते हैं. 1998 और 1999 में तमिलनाडु से लोकसभा सांसद रह चुके राधाकृष्णन 31 जुलाई 2024 से महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. उनकी छवि और अनुभव उन्हें मजबूत दावेदार बनाते हैं. विपक्षी इंडिया ब्लॉक ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है. 79 वर्षीय रेड्डी दक्षिण भारत से हैं और 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए. वे काले धन की जांच में ढिलाई और छत्तीसगढ़ में सलवा जुडूम को असंवैधानिक घोषित करने जैसे ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं. उनकी कानूनी विशेषज्ञता विपक्ष के लिए मजबूत आधार है.