संसद के लोकसभा सदन में विपक्ष के भारी विरोध करने पर वक्फ बिल पास नहीं हुआ. विपक्ष के विरोध के बाद केंद्र सरकार ने बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजने की सिफारिश की. अब ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है संयुक्त संसदीय समिति? काम क्या करती है? और कोई बिल किस लिए संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा जाता है?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संसदीय कार्य मंत्री ने किरन रिजिजू ने बीते दिन गुरुवार को वक्फ अधिनियम संशोधन बिल 2024 को संसद में पेश किया था. इस बिल लोकसभा में चर्चा के बीच विपक्ष के जोरदार हंगामें से बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया. बिल को संयुक्त संसदीय समिति के पास जाने पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने समिति के गठन की बात विपक्ष के नेताओं से की है.
संसद के अंदर दो तरह की समिति होती है, एक स्थायी और दूसरी अस्थायी. स्थायी समिति हमेशा अपना काम करती है और अस्थायी समिति समय-समय पर गठित की जाती है. संसद में बहुत सारे कार्य होने से हर मामले पर गहराई से सोच विचार नहीं किया जा सकता है. इसलिए अस्थायी समिति का गठन किया जाता है. यह समिति उस मामले पर रिपोर्ट तैयार करती है और सदन में पेश करती है. इसी अस्थायी समिति में संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाता है.
संयुक्त संसदीय समिति का गठन केंद्र सरकार के सिफारिश पर संसद के किसी भी सदन में एक प्रस्ताव लाकर दोनों सदन से सहमति ली जाती है. इस समिति में दोनों सदनों के सदस्य होते है. इस समिति में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की हिस्सेदारी का अनुपात 2:1का होता है. समिति में दोनों सदनों के सदस्यों के होने के वजह से इसे संयुक्त संसदीय समिति कहते हैं.
संयुक्त संसदीय समिति का अध्यक्ष का चयन लोकसभा के स्पीकर द्वारा किया जाता है जिसका फैसला सर्वमान्य होता है. इसमें ज्यादातर सत्ताधारी पक्ष के ही किसी सदस्य को अध्यक्ष बनाया जाता है. समिति में दोनों पक्षों के सदस्यों को शामिल किया जाता है. ताकि कोई सदस्य किसी मुद्दे को दबाने की कोशिश करे तो विपक्षी सदस्य उस पर बोल सके और उसकी शिकायत कर सके. बिल पर चर्चा के दौरान किसी विशेषज्ञ की राय और जरूरत पड़ने पर जनता से भी राय ली जा सकती है.
समिति को करीब तीन महीने का समय दिया जाता है. समिति के पास जो मुद्दे होते हैं, वह उससे संबंधित व्यक्ति या संस्थान से बुलाकर जानकारी पूछ सकती है. यह सब अधिकार समिति के पास होते हैं. समिति की कार्यवाही को गोपनीय ही रखा जाता है.
भारतीय संसद के इतिहास में अब तक संयुक्त संसदीय समिति का गठन कई बार हुआ है. समिति के द्वारा पेश की रिपोर्ट को सरकार मानने के लिए बाध्य नहीं होती है. सरकार समिति की सिफारिश सुन सकती है. समिति के रिपोर्ट पर सदन में चर्चा होती है और उस पर सवाल भी उठाए जाते हैं. अब तक समिति के रिपोर्ट पर चर्चा करने के बाद 5 बार ऐसा हुआ है कि सत्तारूढ़ दल अगला चुनाव हार गई.
Stay updated with our latest videos. Click the button below to subscribe now!